नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को बजट सत्र की शुरुआत होने से पहले कहा कि संसद में व्यवधान का दौर खत्म करके सार्थक चर्चा की राह बनाई जानी चाहिए। राष्ट्रीय महिला आयोग के 33वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश को ऐसे विपक्ष की जरूरत है, सहयोगी और सार्थक हो। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘संसद में ज्यादा चर्चा और बहस होनी चाहिए न कि उसे बाधित किया जाए।’
‘आधी आबादी के योगदान के बिना देश तरक्की नहीं कर सकता’
राज्यसभा सभापति ने महिला सशक्तिकरण पर बात करते हुए संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण दिए जाने के फैसले की तारीफ की और इसे ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया। उन्होंने कहा कि देश में अब ऐसा माहौल बन रहा है, जो महिलाओं की महत्वकांक्षाओं का भी समर्थन करता है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि बढ़ी हुई महत्वकांक्षाएं बड़ी चुनौतियां भी लेकर आती हैं और उन चुनौतियों से पार पाने के लिए ऊर्जा और सही दिशा होनी बहुत जरूरी है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना भारत की तरक्की अधूरी है। उन्होंने कहा कि ‘मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि आधी आबादी के योगदान के बिना ये दुनिया न तो खुश रह सकती है और न ही देश तरक्की कर सकता है।’
महिला आयोग को उपराष्ट्रपति ने दी सलाह
उपराष्ट्रपति ने महिला आयोग की भूमिका पर कहा कि आयोग को सनसनीखेजता के बजाय सूचना प्रसार और रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिए और सुर्खियां बनाना अंतिम लक्ष्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ताकत कभी भी सत्ता के प्रयोग में नहीं होती, बल्कि सीमाओं के अहसास में होती है। आपकी सीमाएं आपकी शक्ति को परिभाषित करती हैं।’ उपराष्ट्रपति ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की भी तारीफ की। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कि महिलाओं पर हावी होने की पुरुषों की प्रवृत्ति को समाप्त किया जाना चाहिए।