Home देश ‘मतदान के दौरान की वीडियो क्लिप संरक्षित रखें’, चुनाव नियमों पर विवाद...

‘मतदान के दौरान की वीडियो क्लिप संरक्षित रखें’, चुनाव नियमों पर विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

34
0
Spread the love

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग को दिए निर्देश में मतदान के दौरान की वीडियो क्लिप को संरक्षित रखने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव नियमों पर हो रहे विवाद पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक याचिकाओं का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक मतदान की वीडियो क्लिप संरक्षित रखी जाएं।
सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इंदु प्रकाश सिंह की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। याचिका में चुनाव आयोग के उस नियम को चुनौती जिसमें हर विधानसभा में प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1200-1500 बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है।

पीठ ने कहा कि प्रतिवादी संख्या 1 के वकील हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग कर रहे हैं। हलफनामा तीन सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए। हम प्रतिवादी संख्या 1 को सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को बनाए रखने का निर्देश देना उचित समझते हैं।

याचिकाकर्ता इंदु प्रकाश सिंह ने कहा कि प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का निर्णय मनमाना है। यह किसी डाटा पर आधारित नहीं है। चुनाव आयोग के फैसले से आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं पर असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि आम तौर पर चुनाव 11 घंटे तक चलते हैं और वोट डालने में 60 से 90 सेकंड का समय लगता है, इसलिए एक ईवीएम के साथ एक मतदान केंद्र पर एक दिन में 660 से 490 लोग वोट डाल सकते हैं। औसत मतदान 65.70 प्रतिशत मानते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 1,000 मतदाताओं के लिए तैयार मतदान केंद्र पर लगभग 650 मतदाता उपस्थित हुए।

सिंह की याचिका में कहा गया है कि कुछ मतदान केंद्र ऐसे होते हैं, जहां मतदान प्रतिशत 85-90 प्रतिशत के बीच था। ऐसी स्थिति में लगभग 20 प्रतिशत मतदाता या तो मतदान समय के बाद भी कतार में खड़े रहेंगे या लंबे इंतजार के कारण अपने मताधिकार का प्रयोग करना छोड़ देंगे। लोकतंत्र में दोनों में से कोई भी स्वीकार्य नहीं है।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। इसमें 1961 के चुनाव नियमों में सीसीटीवी तक सार्वजनिक पहुंच न देने सहित हाल के संशोधनों के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।