प्रधानमंत्री ने नागरिकों से समाज में विभाजन और घृणा की भावना को समाप्त करने का संकल्प लेने का आ
मन की बात की 117वीं कड़ी में आज देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि महाकुंभ की विशेषता सिर्फ इसकी विशालता ही नहीं है बल्कि इसकी विविधता भी है। इस आयोजन में करोड़ों लोग जुटते हैं। लाखों संत, हजारों परंपराएं, सैकड़ों पंथ, अनेक अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कहीं कोई भेदभाव नहीं है, कोई बड़ा नहीं है, कोई छोटा नहीं है। विविधता में एकता का ऐसा दृश्य दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता। इसलिए हमारा कुंभ भी एकता का महाकुंभ है। आने वाला महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को बल देगा। उन्होंने नागरिकों से एकता के संकल्प के साथ महाकुंभ में भाग लेने का आह्वान किया कि आइए हम समाज में विभाजन और नफरत की भावना को मिटाने का भी संकल्प लें। अगर मुझे इसे कुछ शब्दों में कहना हो तो मैं कहूंगा, महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश” । उन्होंने कहा, “महाकुंभ का संदेश है पूरा देश एकजुट हो। इसे दूसरे तरीके से कहें तो मैं कहूंगा, गंगा की अविरल धारा, न बनें समाज हमारा ।” उन्होंने कहा, “गंगा की निर्बाध धारा की तरह हमारा समाज भी अखंड हो।”