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अल्वा फाऊंडेशन और कृषि विभाग लांजी की पहल से रागी की जैविक फसल बनी प्रेरणा का स्रोत, किसानों में जागरूकता बढ़ी

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राजनांदगांव। रागी की बाली जब लहराईए तो अल्वा फाऊंडेशन और कृषि विभाग लांजी (जिला बालाघाट) के जज्बे ने फसल में जान डाल दी। मिट्टी से सोना उगाने का यह हुनर न केवल किसानों की मेहनत का प्रतीक है, बल्कि फाउंडेशन और कृषि विभाग की समर्पित टीम की सच्ची पहचान भी बन चुका है। जय जवान-जय किसान के संदेश के साथ यह प्रदर्शन क्षेत्र किसानों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन गया है।
अल्वा फाऊंडेशन द्वारा कृषि विभाग लांजी के सहयोग से 5 एकड़ क्षेत्र में रागी फसल का प्रदर्शन लगाया गया, जिसकी बुवाई 10 जनवरी को की गई थी और यह 30 मई तक पूरी तरह पककर तैयार हो जाएगी। यह फसल पूरी तरह जैविक विधियों से तैयार की जा रही है।
कृषि विशेषज्ञ धनेन्द्र साहू ने बताया कि रसायन मुक्त खेती न केवल फसल को स्वास्थ्यवर्धक बनाती है, बल्कि मिट्टी की सेहत को भी बनाए रखती है।
इस अवसर पर समीर बिसेन ने किसानों को जीरो टिलेज (बिना जुताई की खेती) के लाभों की जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि यह तकनीक कैसे किसानों की लागत कम कर उपज और लाभ दोनों बढ़ा सकती है। रागी की लहलहाती फसल को देखकर आसपास के किसानों में उत्साह और जागरूकता आई है। कई किसानों ने कहा कि वे आने वाले मौसम में रागी की खेती को अपनाने का मन बना चुके हैं।
अल्वा फाऊंडेशन और कृषि विभाग लांजी का यह संयुक्त प्रयास जैविक कृषि और सतत खेती की दिशा में एक प्रेरक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो स्थानीय किसानों के लिए एक नया रास्ता खोल सकता है।