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महापौर पद के लिए मंथन ज़ारी भाजपा में इन बीजेपी नेत्रियो में ही निर्णय होने की संभावना,25 जनवरी को हो सकती है घोषणा

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दुर्ग । गोविंद यदु  नगरीय निकाय चुनाव की नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद लोगो की नजर अब राजनीतिक दलों की ओर टीक गई है वार्ड से लेकर महापौर तक मुख्य राजनीतिक पार्टी भाजपा व कांग्रेस किन किन चेहरों को मैदान में उतारती है चूंकि राज्य की विष्णुदेव सरकार ने इस बार पूर्व के भूपेश सरकार के महापौर अध्यक्ष चुनाव के अप्रत्यक्ष प्रणाली को पलट दी है और सीधे जनता से चुनकर आना है तो स्वाभाविक है। निगम में मेयर का रुतबा भी बेहद महत्वपूर्ण होगा दुर्ग निगम महापौर पद महिला ओबीसी होने के बाद दोनो ही दलों के पुरुषो में राजनीतिक शून्यता आ गई है और महिला नेतृत्व होने के चलते कोई सशक्त या बहुचर्चित नाम अभी भी दोनो ही पार्टियों में दिखलाई नहीं पड़ रही है, जो पूर्व महापौर सुश्री सरोज पाण्डेय की तर्ज पर निगम को दबंगाई से चला सके इसलिए लोगो का भी मानना है कि एकदम से कोई नई या गैर राजनीतिक महिला को बड़े ओहदे पर लाने से नीतिगत निर्णयों,स्मस्यायो को समझने सुलझाने व प्रशासनिक कसावट की दृष्टि से कमजोर होने पर सीधा असर सत्ताधीश राजनीतिक दल को पड़ सकता है इसलिए जन चर्चा है, कि उन राजनीतिक,पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले या किसी अनुभवी महिला को टिकट दिया जाय जिसे निगम का अनुभव हो और चुनाव जीतने के बाद सभी पार्षदों को साथ लेकर चलने की क्षमता हो।
इस लिहाज से महापौर के लिए भाजपा से जो प्रबल दावेदार सामने आई है उनकी पृष्टभूमि भी जनता को जानना जरूरी है वैसे तो भाजपा में दो दर्जन से अधिक नाम चल रहा है उनमें प्रमुख रूप से पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर,महिला चिकित्सक डॉ. मानसी गुलाटी,गया नगर क्षेत्र की पार्षद लीना दिनेश देवांगन,अल्का बाघमार,गायत्री वर्मा,झरना वर्मा,गणेशिया साहू,पूर्व पार्षद डॉक्टर चंद्रकला खिचरिया, कुमुद बघेल,भारती साहू,चम्पा साहू के अलावा कुछ और नाम सामने आई है लेकिन जानकार बताते है की जाति संबंधी अड़चन के चलते मानसी गुलाटी बाहर हो सकती है लेकिन एप्रोच तगड़ा है दूसरा नाम पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर की भी है वे 5 साल महापौर रही और 2018 में विधान सभा चुनाव भारी अंतर से पराजित हुई है इसलिए उनके नाम पर असर कम दिखाई दे रही है ।एक अन्य नाम श्रीमती अल्का बाघमार की भी है जो 2014 में वार्ड 60 में भाजपा से पार्षद निर्वाचित होकर राजनीति में कदम रखी थी 2019 में टिकट कटने के बाद कुछ समय शांत रही और विगत दो तीन वर्ष से भाजपा में जिला उपाध्यक्ष के रूप में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है वे महिला मोर्चा में भी कार्य कि है लेकिन अनुभव की कमी व जन स्वीकार्यता की आभाव आड़े आ सकती है।
इसी प्रकार एक अन्य स्वाभाविक दावेदार वार्ड 4 की पार्षद श्रीमती लीना दिनेश देवांगन की भी है वे भाजपा में 32 वर्षो से पूर्णकालिक कार्यकर्ता व पूर्व सभापति दिनेश देवांगन की धर्मपत्नी है जो गया नगर वार्ड से 2004 से 2014 तक लगातार 3 बार अपराजेय होकर चुनाव जीतते रहे है और 2019 में महिला आरक्षण के चलते वहां के कार्यकर्ताओ व मतदाताओं की इच्छानुसार पार्टी ने उनकी पत्नी लीना देवांगन को टिकट दिया था वे भी अच्छे वोटो से चुनी गई थी और निगम में महापौर धीरज बाकलीवाल के पांच साल के कांग्रेस शासन काल में दमदार विपक्षी पार्षद के रूप में पानी बिजली साफ सफाई जैसे मुद्दे को लेकर कई बार बड़े बड़े आंदोलन व प्रदर्शन किए और सदन के अंदर भी कभी प्रधानमंत्री आवास में घोटाले,ठगड़ा बांध में अनियमितता तथा जनता की टैक्स वसूली में स्पैरो कंपनी कर्मियों द्वारा बड़े पैमाने पर किए घोटाले को प्रमुखता से उठाकर सत्तरूढ कांग्रेसी परिषद को घेरते रही है भाजपा के बड़े आयोजनों में भी अपने क्षेत्र से कार्यकर्ताओ की फौज के साथ शामिल होती रही है विधान सभा लोकसभा चुनाव में पूरे शहर में उनके वार्ड से सर्वाधिक लीड के चलते उन्हें 1लाख की नकद राशि से सम्मानित भी किया था तथा सरल व्यवहारिक व सुशिक्षित भी है व जनता व कार्यकर्ता के बीच अच्छी छबि है बताते चले कि 2023, विधान सभा चुनाव में दिनेश देवांगन कि प्रबल दावेदारी के चलते पैनल में भी नाम था। और सामाजिक दृष्टिकोण देवांगन समाज भी आहत है ईस नाते उनकी पत्नी लीना के नाम पर भी पार्टी द्वारा गंभीरता से विचार किया जा सकता है।
महापौर के लिए अन्य दावेदारों में श्रीमती गायत्री वर्मा भी लम्बे समय से संगठन से जुड़ी हुई है वे स्वर्गीय हेमचंद यादव जी के मार्गदर्शन में राजनीति की शुरआत की है। अभी महिला मोर्चा की जिला महामंत्री भी है डॉ.चंद्रकला खिचरिया भी पूर्व राज्यपाल रमेश बैस के जरिए जेक लगवाई है। हालांकि एक नाम श्रीमती माया बेलचदन की भी जोरों पर है जो ग्रामीण में पंचायत क्षेत्र की राजनीति छोड़कर शहर में महापौर के लिए दावा ठोक दी है सूत्र बताते है की इन्ही में से किसी एक नाम पर पार्टी चयन समिति द्वारा मुहर लगाई जा सकती है और 25 जनवरी तक एलान हो सकता है।