Home राजनीति आम जनता को गुमराह करने वाला बजट : कुलबीर सिंह

आम जनता को गुमराह करने वाला बजट : कुलबीर सिंह

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राजनांदगांव। मंगलवार को जारी हुए केंद्रीय बजट को शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कुलबीर सिंह छाबड़ा ने जनता को गुमराह करने वाला और ठगने वाला बजट करार दिया है। केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कुलबीर सिंह छाबड़ा ने कहा कि मोदी सरकार ने आम जनता के हित के लिए कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पायी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी रेवडियां बांट रहा है, ताकि एनडीए की सरकार बची रहे। कुलबीर सिंह छाबड़ा ने कहा कि ये देश की तरक्की का बजट नहीं बल्कि मोदी सरकार बचाओ बजट है। 10 साल बाद उन युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं हैं, जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं। किसानों को लिए केवल सतही बातें हुईं हैं, डेढ़ गुना एमएसपी और आय दोगुना करना सब चुनावी धोखेबाजी निकली। ग्रामीण वेतन को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है।
कुलबीर ने कहा कि दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, मध्यम वर्ग और गांव-गरीब लोगों के लिए कोई भी क्रांतिकारी योजना नहीं है, जैसी कांग्रेस ने यूपीए सरकार में लागू की थी।
कुलबीर ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की बात करने वाली भाजपा के इस बजट में महिलाओं के लिए ऐसा कुछ नहीं है, जिससे उनकी आर्थिक क्षमता बढ़े और वो वर्क फोर्स में अधिक से अधिक शामिल हों। उल्टा महंगाई पर सरकार अपनी पीट थपथपा रही है, जनता की गाढ़ी कमाई लूट कर वो पूंजीपति मित्रों में बांट रही है। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन-कल्याण और आदिवासियों पर बजट में आबंटन से कम खर्च किया है, क्योंकि ये भाजपा की प्राथमिकताएं नहीं हैं। इसी तरह कैपिटल एक्सपेंडिचर पर 1 लाख करोड़ कम खर्च किया है, तो फिर नौकरियां कहां से बढ़ेंगी?
कुलबीर सिंह छाबड़ा ने केंद्रीय बजट पर तंज कस्ते हुए कहा कि शहरी विकास, ग्रामीण विकास, इंफ्रास्ट्रख्र, मैन्युफैख्रिंग, एमएसएमई, इन्वेस्टमेंट, इवी योजना-सब पर केवल डॉक्यूमेंट, पालिसी, विजन, रिव्यु आदि की बात की गई है, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है।
कुलबीर सिंह छाबड़ा ने कहा कि आये दिन रेल हादसे हो रहें हैं, ट्रेनों को बंद किया गया है, कोच की संख्या घटी है, आम यात्री परेशान हैं, पर बजट में रेलवे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, कोई जवाबदेही नहीं है व जातिगत जनगणना पर भी कुछ नहीं बोला गया है, जबकि ये पांचवा बजट है जो बिना सेन्सस के प्रस्तुत किया जा रहा है। ये हैरान कर देने वाली अप्रत्याशित नाकामी है-जो लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है।