राजनांदगांव। राज्य में शिक्षक आंदोलित हैं। 1 जुलाई को प्रदेशभर के 146 विकासखंडों में 1 लाख 80 हजार शिक्षक स्कूलों से गैरहाजिर रहकर सड़कों पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करेंगे। शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ के नेतृत्व में यह आंदोलन होगा, जिसमें राज्य के 23 से अधिक शिक्षक संगठनों ने एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है।
शिक्षक मंच के संयोजक संजय शर्मा, मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत और जाकेश साहू ने बताया कि यह आंदोलन शिक्षिका सोना साहू को मिले न्याय के अनुरूप पूरे प्रदेश के शिक्षकों को लाभ न मिलने के विरोध में है। मांग की जा रही है कि सभी पात्र शिक्षकों को प्रथम नियुक्ति तिथि से क्रमोन्नति वेतनमान मिले, एरियर की राशि दी जाए और पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
शिक्षकों को हो रहा है बड़ा आर्थिक नुकसान
शिक्षक नेताओं कृष्णकुमार नवरंग और राजनारायण द्विवेदी ने बताया कि सूरजपुर की शिक्षिका सोना साहू को उच्च न्यायालय के आदेश पर क्रमोन्नति वेतनमान और एरियर्स का लाभ मिला है, लेकिन अब तक सरकार ने समस्त शिक्षकों के लिए जनरल ऑर्डर जारी नहीं किया है। इससे हजारों शिक्षकों को हर माह 15 से 20 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है।
डीएड धारियों को भी मिले पदोन्नति का अवसर
भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर और अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि डीएड योग्यता धारकों को व्याख्याता और प्राचार्य पदों पर पदोन्नति दी जाए। इसके साथ ही वर्तमान युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया में 2008 के सेटअप का पालन नहीं हुआ है, जिससे 57 हजार से अधिक शिक्षक पद समाप्त हो गए हैं।
सरकार को दी खुली चेतावनी
शिक्षक साझा मंच के नेताओं ने साफ कहा है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को हल्के में लिया, तो प्रदेशभर के स्कूलों में तालाबंदी होगी और सभी शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इसके लिए पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
पहले भी जताया विरोध
हड़ताल से पहले शिक्षक 15 से 30 जून तक काली पट्टी बांधकर स्कूल जाते रहे और शासन को शांत विरोध के जरिए चेताते रहे। लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के चलते अब वे सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।
साझा मंच ने सभी शिक्षकों से आंदोलन में 100% उपस्थिति दर्ज कराने की अपील की है।
संयोजक मंडल में शामिल प्रमुख नेताओं में संजय शर्मा, मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी, जाकेश साहू, भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरतद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरे, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मुरचले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू, धरम दास बंजारे, अनिल कुमार टोप्पो प्रमुख हैं।
सरकार अब शिक्षकों की मांगों को लेकर कोई भी निर्णय लेने से चूके, तो शिक्षा व्यवस्था ठप पड़ सकती है।