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आपातकाल के 50 वर्ष पर भाजपा ने मनाया संविधान हत्या दिवस,मीसा बंदियों का सम्मान कर इमरजेंसी काल के यातनाओं को प्रदर्शित करने लगाई प्रदर्शनी

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-संविधान की दुहाई देने वाला कांग्रेसीयो ने हो लोकतंत्र का गला घोटा-विजय बघेल

-आपातकाल देश का एक बुरा सपना था जिसे हर देश का नागरिक आज भी नहीं भूल पाया -सुरेंद्र कौशिक

-कांग्रेस के आपातकाल ने बेटों को माता, पिता की चिता को अग्नि देने तक नहीं दी : गजेंद्र यादव*
-कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर देश के संविधान को लगातार कुचला – ललित चंद्राकर

दुर्ग। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु देश में आपातकाल लगा दिया था जबकि उसे समय ऐसा कोई भी औचित्य नहीं था भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय प्रदेश नेतृत्व के द्वारा आपातकाल दिवस को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया था जिसके तहत दुर्ग जिला भाजपा कार्यालय में आपातकाल दिवस मनाते हुए मीशा बंदियों का सम्मान किया साथ ही आपातकाल के ऊपर चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल, जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक विधायक ललित चंद्राकर गजेंद्र यादव पूर्व कैबिनेट मंत्री रमशीला साहू, भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य उषा टावरी, चंद्रिका चंद्राकर, निवृत्तमान जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा, कार्यक्रम प्रभारी दिनेश देवांगन, प्रमुख रूप से उपस्थित रहे आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित नेताओं ने कांग्रेस के आपातकाल को लेकर कांग्रेस की कड़ी आलोचना की कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि आम जनमानस के बीच में कांग्रेस की इस हरकत को लेकर जाएं | कार्यक्रम के दौरान मीशा बंदी या उनकी अनुपस्थिति में उनके परिवारजनों को मोमेंटो साल एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया गया | जिनमें यह है
राम पाटनकर,ठाकुर जनार्दन सिंह,लक्ष्मी नारायण ठाकुर, चिंतामणि वामन, वासुदेव पाटनकर
, गोवर्धन जायसवाल,स्व .मोहन लाल भैया पूर्व सांसद स्व.डॉक्टर वामन वासुदेव पाटनकर,स्व .दिनकर श्याम राव डांगे,कल्याण सिंह अग्रवाल,स्व. शामनदास रत्नानी,स्व. विरेंद्र दानी वकील,डॉ देवेंद्र दानी,स्व. डोमार सिंह चंद्रकार,स्व .डॉ लक्ष्मी नारायण चंद्राकर,स्व. ज्योति प्रकाश साहू,स्व.जागेश्वर साहू,स्व.मंगल दास जांगड़े,स्व.किशन लाल शर्मा
इस अवसर पर दुर्ग लोकसभा की सांसद विजय बघेल ने संबोधित करते हुए कहा कि संविधान हत्या दिवस 25 जून 1975 कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल की लेकर मनाया जाता है आज उसकी 49वीं भर्ती है देश के लिए वह आपातकाल अत्यंत आवश्यक नहीं था लेकिन कांग्रेस की और खासकर के इंदिरा गांधी की सता की भूख को लेकर यह आपातकाल लगाया गया था आपातकाल के वह 19 से 20 माह में देश ने कई प्रकार की यातनाएं झेली आपातकाल के दौरान देशभर में चुनाव स्थगित हो गए थे।आपातकाल की घोषणा के साथ हर नागरिक के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। लोगों के पास न तो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार था, न ही जीवन का अधिकार।पांच जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जयप्रकाश नारायण जैसे बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया।इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाला गया था कि जेलों में जगह ही नहीं बची।
प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। हर अखबार में सेंसर अधिकारी रख दिये गये थे। उस सेंसर अधिकारी की अनुमति के बिना कोई खबर छप ही नहीं सकती थी। अगर किसी ने सरकार के खिलाफ खबर छापी तो उसे गिरफ्तारी झेलनी पड़ी।
आपातकाल के दौरान प्रशासन और पुलिस ने लोगों को प्रताड़ित किया, जिसकी कहानियां बाद में सामने आईं। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप सभी इस आपातकाल को अपने आसपास मोहल्ले में आम जनमानस के बीच लेकर जाएं और उन्हें बताएं कि कांग्रेस ने किस तरह से अपनी सता की भूख मिटाने के लिए देश में आपातकाल लगाया और बार-बार संविधान को कुचला |
दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर ने पर संबोधित करते हुए कहा कि 25 जून को हम सब काला दिवस के रूप में मनाते हैं कांग्रेस ने संविधान की हत्या कर हम सबको ने 25 जून का संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का आहवन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है और हम सब को इसे मानना भी चाहिए जिस तरह से कांग्रेस ने अपनी अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु इस तरह का कृत्य किया
कांग्रेस ने आपातकाल काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते। आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है, नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है। आज कांग्रेस में चेहरे बदल गए हैं, लेकिन तानाशाही की प्रवृत्ति और सत्ता का लोभ जस का तस है। 50 वर्ष बाद आज आपातकाल को याद करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि यह इतिहास की एक घटना मात्र नहीं बल्कि कांग्रेस की मानसिकता का प्रमाण भी है। राहुल गांधी ने अपनी ही केंद्र सरकार के अध्यादेश को प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़कर संविधान के प्रति कांग्रेस की इसी अधिनायकवादी सोच का प्रदर्शन किया गया। आप सभी आपातकाल को जाने समझे और लोगों को अवगत कारये |
दुर्ग जिला भाजपा सुरेंद्र कौशिक ने कहा कि 25 जून 1975 का यह आपातकाल देश के लिए एक जख्म है सत्ता की भूख और लालच में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न सिर्फ देश को आपातकाल के गहरे अंधेरे कुएं में धकेल दिया जिससे आज तक कई लोग उभर नहीं पाए हैं हमारे देश के एक काले अध्याय के रूप में आपातकाल है जिसे हर नागरिक को जानना चाहिए कि किस तरह से कांग्रेस ने अपनी संविधान का गलत इस्तेमाल किया और बनाए गए संविधान को किस तरह से कुचला
‘आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। 25 जून 1975 को लगे आपातकाल में देशवासियों ने जो पीड़ा और यातना सही, उसे नई पीढ़ी जान सके, इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ का नाम दिया। यह दिवस बताता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे उखाड़ फेंकने की ताकत रखती है।

आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्रविरोधी मानसिकता का परिचायक था। प्रेस की स्वतंत्रता कुचली गई, न्यायपालिका के हाथ बाँध दिए गए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया। देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का शंखनाद किया और तानाशाही कांग्रेस को उखाड़ फेंका। इस संघर्ष में बलिदान देने वाले सभी वीरों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव संबोधित करते हुए कहा कि देश का आपातकाल का दौर जिसने जिया है वही जानेगा कांग्रेस पार्टी दुहाई दे रही है कि भारतीय जनता पार्टी संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है जगह-जगह संविधान बचाओ रैली कर रही है कांग्रेस ने अपनी सता का पावर का इस्तेमाल करते हुए राज्यों की सरकार को बदल दिया कांग्रेस शासन में लोकतंत्र का ऐसा पतन हुआ कि जेलों में बंद लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने तक की अनुमति नहीं दी गई और इन लोगों में वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक शामिल थे। उन्होंने खुद खुलासा किया है कि उन्हें उनकी माताजी की अंत्येष्टि में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। विडम्बना की बात यह है कि आज वही कांग्रेस मोदी-सरकार पर तानाशाही की तोहमत मढ़ने में लगी है। इसके अलावा विरोधियों को जेलों में मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं, किसी को दवा नहीं दी गई, किसी को गर्मी में बिना पंखे के बंद रखा गया। महिला कैदियों के साथ भी अमानवीय व्यवहार हुआ, उन्हें न तो समुचित चिकित्सा दी गई, न ही उनके साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार किया गया।
आयोजित कार्यक्रम का संचालन दिनेश देवांगन ने किया आभार सुनील अग्रवाल ने किया आयोजित कार्यक्रम में विजय ताम्रकार रोहित साहू की महत्वपूर्ण भूमिका रही
आयोजित कार्यक्रम में जिला मंत्री आशीष निंमजे, दीपक चोपड़ा, रोहित साहू नीलेश अग्रवाल कार्यलाय मंत्री मनोज सोनी, सह कार्य लाय अनूप सोनी, मीडिया प्रभारी राजा महोबिया, सोशल मीडिया संयोजक रजनीश श्रीवास्तव, आईटी सेल जिला संयोजक जितेंद्र सिंह राजपूत, वरिष्ठ भाजपा नेता अजय तिवारी, शिव चंद्राकर प्रितपाल बेल चंदन सरिता मिश्रा संतोष सोनी मंडल भाजपा अध्यक्ष महेंद्र लोढा, कमलेश फैकर, कौशल साहू, बंटी चौहान, अनुपम साहू राजू जंघेल लिकेश्वर देशमुख, अल्पसंख्यक मोर्चा जिला अध्यक्ष साजन जोसेफ , विधि प्रकोष्ठ जिला संयोजिका उमा भारती साहू ,डॉ राजेश साहू, गायत्री वर्मा ,जय श्री राजपूत, नितेश साहू ,राजेश राजपूत, नवीन पवार ,रितेश शर्मा, राहुल पंडित ,दिनेश नालोडे, मदन वढई, नितेश जैन लुकेश बघेल , उमेश गिरी गोस्वामी, पार्षद शेखर चंद्राकर ,ज्ञानेश्वर ताम्रकार, मनीष साहू ,कमल देवांगन ,कुलेश्वर साहू ,ललित ठाकुर, युवराज कुंजाम, खालिद रिजवी ,मीना सिंह, सरिता चंद्राकर, गोविंद देवांगन ,रामचंद्र सेन, मनीष कोठारी ,संजय यादव ,पूनम यादव ,सीमा तिडके, मौसमी ताम्रकार, झरना वर्मा ,तनुजा बघेल, अंजू तिवारी ,प्रीति साहू ,नीतू श्रीवास्तव, मंजू पांडे ,प्रीति राजपूत ,शीतल जांगिड़ ,कृतिका आढतिया, संस्कृति वर्मा सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे |