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नए सेटअप के नाम पर साय सरकार पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर रही- कांग्रेस

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0 प्रेस वार्ता

 10 हजार से अधिक स्कूल सीधे बंद कर 45 हजार शिक्षकों का पद समाप्त करने का आरोप लगाया।

कवर्धा। नए सेटअप के नाम पर विष्णुदेव साय सरकार ने स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम पदो की संख्या में कटौती कर शिक्षक के 45 हजार से अधिक पदों को कर दिया है। रमन सरकार ने भी प्रदेश में 3300 से अधिक स्कूलों को बंद कर 12000 शिक्षकों के पद को खत्म किया था। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों विशेषकर बस्तर, सरगुजा, जशपुर जैसे जगहों पर स्कूलों की कमी होगी, सरकार झूठ बोल रही कि स्कूल बंद नहीं होंगे, जबकि सच्चाई यह है कि मर्ज किए गए स्कूलों का डायस कोड़ विलोपित कर दिया गया है।

कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में पूर्व महापौर राजनांदगांव श्रीमती हेमा देशमुख ने उक्त बातें कही। उन्होने कहा कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में प्राइमरी स्कूलों में 21 छात्रो के बीच एक शिक्षक है, इस अनुपात को बढ़ाकर 30 छात्र प्रति शिक्षक और इसी तरह मिडिल स्कूल में 26 छात्र प्रति शिक्षक के रेसियो को बढ़ाकर 35 छात्र प्रति शिक्षक किया गया है। इससे शिक्षकांे के एक तिहाई पद खत्म हो जाएगा। कांग्रेस नेत्री हेमा ने आरोप लगाया कि नए शिक्षकों की भर्तियां न करनी पड़े इसलिए साय सरकार युक्तियुक्तकरण का हथकंडा अपना रही है। साय सरकार के इस षड्यंत्र का सबसे बड़ा नुकसान बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अंचलों में पढ़ने वाले बच्चों सहित पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जाएगी और हमारे युवा देश के अन्य राज्यों की तुलना में प्रतियोगी परीक्षाओं में पीछे रह जाएंगे। इससे बेरोजगारी बढ़ेगी और अपराध भी बढेंगे।
कांग्रेस नेत्री हेमा ने कहा कि प्राथमिक शालाओं में पहली व दूसरी में तीन-तीन विषय एवं तीसरी, चौथी, पांचवी में चार-चार विषय के अनुसार कुल 18 विषय होते हैं, जिन्हें वर्तमान समय में तीन शिक्षकों को 40 मिनट का 6-6 कक्षा लेना होता हैैै। अब युक्तियुक्तकरण के नए नियम के बाद दो ही शिक्षकों को 18 कक्षाओं को पढ़ाना है। ऐसे में शिक्षकों की मानसिक स्थिति और पढ़ाई की गुणवत्ता का अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता। इसी प्रकार मिडिल स्कूल में तीन क्लास और 6 विषय के हिसाब से कुल 18 क्लास और 60 बच्चों की कुल संख्या में एचएम और उसके साथ एकमात्र शिक्षक कैसे 18 क्लास ले पाएंगे?

अधिनायकवादी भाजपा सरकार ने इतना बड़ा अव्यवहारिक निर्णय लेने से पहले ना प्रभावित वर्ग से चर्चा की, न ही प्रदेश के भविष्य के बारे में सोचा। इतना बड़ा निर्णय थोपने से पहले न शिक्षक संगठनों की राय ली गई, न पालक संघ से पूछा गया। न ही शिक्षाविद और छात्र संगठनों से कोई चर्चा की गई। सरकार के इस शिक्षा विरोधी फैसले के खिलाफ पूरे प्रदेश में आक्रोश है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही प्रदेश में 58000 से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त है। हर महीने सैकड़ो शिक्षक रिटायर हो रहे हैं। कई वर्षों से शिक्षकों का प्रमोशन रुका हुआ है। स्थानांतरण को लेकर कोई ठोस पॉलिसी बना नहीं पाए, समयमान वेतनमान का विवाद अब तक लंबित है। ऐसे में युक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों को डरा कर वसूली करना चाहती है यह सरकार।

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भाजपा ने विधानसभा चुनावों में दावा किया था राज्य में 58000 शिक्षकों के पद खाली है। विधानसभा में घोषणा किया 35000 पद भरे जायेंगे, इस वर्ष बजट में भी 20000 शिक्षकों की भर्ती की बात की गई है लेकिन यह भर्तियां न करना पड़े, इसलिए 45000 पद समाप्त किए जा रहे हैं। जब पद ही खाली नही रहेंगे तो भर्ती कहां से करेंगे। युक्तियुक्तकरण शिक्षा विरोधी, रोजगार विरोधी कदम है। 10 हजार स्कूलों के बंद होने से रसोईया, चौकीदार, भृत्य जैसे पद भी समाप्त होंगे हजारों लोगों के रोजगार के अवसर समाप्त होंगे। कांग्रेस इसके खिलाफ जमीनी लड़ाई लड़ेगी अब सभी जिलों एवं ब्लाकों में आंदोलन चलायेंगे, शीघ्र ही आंदोलन का कार्यक्रम, तिथि और स्वरूप की घोषणा होगी।