Home छत्तीसगढ़ 30 टन किताबें राजनांदगांव के गोदाम से बिकी : क्रिष्टोफर पॉल

30 टन किताबें राजनांदगांव के गोदाम से बिकी : क्रिष्टोफर पॉल

41
0
Spread the love

राजनांदगांव। कबाड़ में किताब मामलें में अब छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम राजनांदगांव डिपो प्रभारी श्रीमती निलिमा बड़गे भी घेरें में है, क्योंकि सोमवार को जांच अधिकारियों के समक्ष कबाड़ियों ने अपने कथन में बताया है कि छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम राजनांदगांव गोदाम से भी उन्होंने लगभग 30 टन किताबें अगस्त माह में खरीदी थी, जिसको लेकर सोमवार को एससीईआरटी ऑफिस रायपुर में राजनांदगांव डिपो प्रभारी श्रीमती निलिमा बड़गे से लगभग दो घंटे गहन पूछताछ कर लिखित कथन दर्ज कराया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार स्टेट स्कूल परिसर में स्थित छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के गोदाम से करीब 2 लाख की किताबें अगस्त माह में कबाड़ियों को बेचे गए थे, इसी गोदाम में संकुलों से बची किताबों को डंपकर प्रतिवर्ष कबाड़ियों को बेचे जा रहे थे, इस गोदाम की चाबी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ किताब प्रभारी निश्चय रामटेके के पास रहती है, इसके आलाव स्टेट स्कूल के कमरा नंबर 10 में भी है किताबें डंप है, इससे पूर्व भी फरवरी 2021 में छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल की लिखित शिकायत पर कार्यवाही हुई थी।
श्री पॉल का कहना है कि, फरवरी 2021 में भी जिले के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को लिखित में यह बताया था कि राजनांदगांव पाठ्य पुस्तक निगम डिपो से छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें कबाड़ियों के जरिए पेपर मिल में बिक रही है, हमारी लिखित शिकायत सही पाया गया, धनलक्ष्मी पेपर मिल डोंगरगांव में राजनांदगांव डिपो की किताबों की जप्ती की गई, तत्कालीन डिपो प्रभारी यशोधरा सरोते को निंलबित किया गया। कुछ माह पश्चात उसे बहाल कर पुनः मुख्य कार्यालय में पदस्थ कर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, लेकिन किताबें कबाड़ियों के जारिए आज तक बिकना बंद नहीं हुआ। अब जब दुर्ग और रायपुर के कबाड़ियों को पकड़ा गया तो उन्होंने राजनांदगांव गोदाम से किताबें खरीदना स्वीकार किया है, तो अब राजनांदगांव डिपो प्रभारी से पूछताछ की जा रही है। हमारी मांग पूर्व में भी यही थी और अब भी यही है कि डिपो प्रभारी और डीईओ कार्यालय के किताब प्रभारी को जेल भेजा जाना चाहिए, और ऐसे लोगों की सेवा समाप्त किया जाना चाहिए, अन्यथा यह खेल चलता ही रखेगा, क्योंकि निलंबन के कुछ महीने पश्चात बहाली हो जाती है और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।