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सर्वेश्वरदास आत्मानंद स्कूल के प्राचार्या के लेकर विवाद गहराया

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राजनांदगांव। बिना प्राचार्य के संचालित हो रहे सर्वेश्वदास आत्मानंद स्कूल में कलेक्टर की अध्यक्षता वाली स्थानीय समिति के द्वारा अब तक तीन लोगों को प्राचार्य बनाया जा चुका है, जिसमें से दो वापस रवाना हो गए और अब जिसे प्राचार्य बनाया गया है, वह पहले ही दो स्कूलों की प्राचार्या है, जिसको लेकर विवाद गहरा गया है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने दस्तावेजी साक्ष्य के साथ कलेक्टर को एक बंद लिफाफे में जो लिखित शिकायत की गई है, उसके अनुसार डीपीआई द्वारा जारी प्राचार्यो ई-संवर्ग की वरिष्ठता सूची में श्रीमती रश्मि सिंह कि पोस्टिंग हाई स्कूल बुद्धुभरदा, विकासखंड डोंगरगढ़ व जिला राजनांदगांव बताया जा रहा है, जबकि इनका वेतन विगत कई वर्षो से मासूल हाई स्कूल विकासखंड व जिला राजनांदगांव से निकल रहा है, वहीं वर्तमान में उन्हे कलेक्टर एवं डीईओ राजनांदगांव द्वारा सर्वेश्वर दास नगर पालिक निगम स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल जिला राजनांदगांव का प्राचार्य बना दिया गया है, इतना ही नहीं यह प्राचार्या विगत पंद्रह वर्षो से साक्षरता मिशन जिला राजनांदगांव में संलग्न है, जिस योजना को केन्द्र सरकार ने पहले ही कई वर्ष से बंद कर चुकी है।
श्री पॉल ने बताया है कि, मंत्री परिषद का बैठक दिनांक 13.05.2020 में निर्णय लिया गया था कि स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्राचार्या की नियुक्ति राज्य सरकार स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किया जावेगा, इस संबंध में अनेको बार स्कूल शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय के द्वारा लिखित में समस्त कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारियों को यह जानकारी दिया जाता रहा है कि प्राचार्य की नियुक्ति स्कूल शिक्षा विभाग ही करेगा, बावजूद इसके कलेक्टर एवं डीईओ राजनांदगांव द्वारा रश्मि सिंह को स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल जिला राजनांदगांव का प्राचार्य बना दिया गया है।
श्री पॉल का कहना है कि यह प्राचार्या विगत पंद्रह वर्षो से किसी भी स्कूल में कभी पढ़ाने गई ही नहीं, बावजूद इसके इनके खाते में प्रतिमाह वेतन हस्तांतरण किया जा रहा है। इनका डीडीओ भैंसातरा उ.मा. शाला, विकासखंड व जिला राजनांदगांव है, जो इनका वेतन बना रहा है।
श्री पॉल ने कलेक्टर से यह मांग की है, रश्मि सिंह का वेतन बनाने वाला डीडीओ, किस उपस्थिति पत्रक देखकर इतने वर्षो से इनका वेतन बना रहा है, इसकी गंभीरता से जांच किया जाना उचित होगा, क्योंकि यह भारी वित्तीय अनियमितता का मामला है और यह संगठित अपराध है, जो जानबूझकर सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है।