राजनांदगांव। शासकीय कमला देवी महिला महाविद्यालय में 29 अगस्त को संस्कृति सप्ताह के अंर्तगत अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। डॉ. महेश शर्मा, सेवानिवृत प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में बताया कि संस्कृति सदैव प्रासंगिक है। भाषा की महत्ता इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि यह भाषा हमारी संस्कारों में रचा बसा है। हम नित्य के कार्यों में संस्कृतमय आचरण करते हैं।
विश्व साहित्य की पहली पुस्तक ऋगवेद इसी भाषा का दैदिप्यमान रत्न है। संस्कृत का अध्ययन किए बिना भारतीय संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कभी संभव नहीं है। हमारी संस्कृत भाषा विश्वभर की भाषाओं में श्रेष्ठ हैं। विश्व के अनेक देशों में किसी न किसी ढंग से संस्कृत का उल्लेख हुआ है। इंग्लैड में ध्येय वाक्य के रूप में ओम शांतिः शांतिः का उल्लेख है। जर्मनी में 12 विश्व विद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जाती है। इसलिए संस्कृत में वसुधैव कुटुम्बकम का महान चिंतन देखने को मिलता है।