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कृषि विश्वविद्यालय से एक्सपर्ट की राय

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कृषि विश्वविद्यालय से एक्सपर्ट की राय
chane ki kheti
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रायपुर, 04 दिसम्बर | (Expert opinion from Agricultural University) एमपी का चना पूरे देश में प्रसिद्ध है। देश में सबसे अधिक चने की प्रजाति इसी प्रदेश में बोई जाती है। जेएनकेवी ने एमपी के लिए 30 के लगभग किस्में विकसित की है। कई किसान इसकी दो फसल काटते हैं। किसानों के सामने उकठा रोग और इल्लियों के प्रभाव से चने की फसल बचाने की बड़ी चुनौती रहती है। समय पर ध्यान नहीं दें तो किसान का सारा परिश्रम बेकार चला जाता है। अधिकतर किसान चने की बुआई कर चुके हैं। अब फसलों की देखभाल की चुनौती है।

आईए जानते हैं एक्सपर्ट अनीता बब्बर से.

दो सिंचाई और दो बार निराई से मिलती है अच्छी फसल

चने की फसल 110 से 120 दिन में तैयार होती है। चना कम सिंचाई वाली फसल है। बुआई से 45 दिन के अंदर पहली सिंचाई करनी पड़ती है। वहीं दूसरी सिंचाई दाना भरने के बाद करनी चाहिए। मतलब बुआई के 75 दिनों पर करनी चाहिए। खरपतवार एक बड़ी समस्या होती है। इससे बचाने के लिए पेंडीमेथालीन 350 ग्राम 350 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ में कर सकते हैं। पहली निराई-गुड़ाई बुआई के 35 दिनों बाद और दूसरी 60 दिनों बाद आवश्यकतानुसार करना चाहिए।

उकठा रोग से बचाना फसल को जरूरी

चने के प्रमुख रोगों में उकठा रोग मुख्य है। फसल की बुआई के 30 दिन बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं। जड़ में काली धारी दिखे या फिर फसल पीलेपन लिए झुक जाएं तो समझ लें कि उकठा रोग लग गया है। यह रोग जड़, तना में होता है। यदि किसान ने जेजी-12 या जेजी-36 लगाई हो तो उसे चिंता करने की बात नहीं है। दोनों किस्में रोगरहित हैं। उकठा रोग से फसल प्रभावित दिखे तो हल्की सिंचाई के बाद ट्राइकोडर्मा या सूडोमोनास का छिड़काव कर दें। जमीन गिली होने से इसका अच्छा प्रभाव मिलेगा।

झुलसा रोग से बचाने के लिए ये करें

अल्टरनेरिया झुलसा रोग भी चने की पैदावार को 50 प्रतिशत तक प्रभावित कर सकते हैं। यह रोग फूल या फली बनते समय लगता है। इसमें पत्तियों पर छोटे, गोल-बैंगनी धब्बे बनते हैं। यह नमी अधिक होने से पूरी पत्ती पर फैल जाता है। नियंत्रण के लिए 03 ग्राम मैंकोजेब, 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी या दो ग्राम मेटालैक्सिल 8 प्रतिशत मैंकोजेब 64 प्रतिशत लीटर पानी में छिड़काव कर दें।

इल्लियों से बचाए, नहीं तो 80 प्रतिशत उपज बेकार हो जाएगी

चने में इल्लियों का प्रभाव फल आने पर दिखने लगता है। यदि किसान ने बुआई के समय ही आईपीएम विधियां अपनाएं हैं, तो इसकी चिंता करने की कोई बात नहीं। इसमें चने की हर 10 क्यारी के बाद एक से दो क्यारी धनिया की बुआई करनी चाहिए। धनिया की महक से इल्लियां दूर भागती हैं।

टी-आकार की खूंटी लगा दें

इसके अलावा खेत के चारों ओर मेड़ पर हाईब्रिड गेंदे का फूल लगा दें। इससे इल्लियां चने की बजाए फूल पर ही अंडा देंगी और फसल बच जाएगी। यदि एक वर्गमीटर में एक से दो इल्ली दिख रहे हैं तो एक एकड़ में 30 से 40 टी-आकार की खूंटी लगा दें। इससे चिड़ियां इस पर बैठेंगी और इल्लियों को खा लेंगी। ये भी प्रभावी उपाय है।