13 सितंबर से गणेश चतुर्थी का पर्व शुरू हो रहा है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन को गणपति के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत में आस्था और विश्वास के कई अद्भुत उदहारण देखने को मिलते हैं। यहां भक्त कभी भगवान को चिट्ठियां भेजकर अपनी परेशानी के बारे में बताते हैं तो कभी 400 सीढ़ियां चढ़ने के बाद उनके दर्शन करते हैं। आइए आज आपको बप्पा के 10 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताते हैं ।
लालबाग का राजा
लालबाग का राजा (मराठी: लालबागचा राजा) मुंबई का सबसे अधिक लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल है। लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल मंडल की स्थापना वर्ष १९३४ में हुई थी। यह मुंबई के लालबाग, परेल इलाके में स्थित हैं।
आज हालत यह है कि लालबाग के राजा के दर्शन करना ही अपने आप में भाग्यशाली हो जाना है। यहाँ मन्नते माँगी जाती है और बताया जाता है कि लोगों की मन्नते पूरी भी होती है। लालबाग के राजा की ख्याति इसी बात से आंकी जा सकती है यहाँ का जो चढ़ावा आता है वह २० से २५ करोड़ रुपयों से अधिक का है जो भक्तजन अर्पित करते हैं।
श्री सिद्धिविनायक मंदिर
गणपति के प्रसिद्द मंदिरों में इस मंदिर का नाम सबसे पहले आता है। यह मंदिर मुंबई में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर को एक निसंतान महिला ने बनवाया था।
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर
गणपति बप्पा का यह मंदिर पुणे में बना हुआ है। श्री सिद्धिविनायक मंदिर के बाद भक्तों की आस्था इस मंदिर में बहुत है। इस मंदिर के ट्रस्ट को देश के सबसे अमीर ट्रस्ट का खिताब हासिल है। कहा जाता है कि कई साल पहले श्रीमंत दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई ने अपना इकलौता बेटा प्लेग में खो दिया था। जिसके बाद दोनों ने इस गणेश मूर्ति की स्थापना यहां करवाई थी। जिसके बाद अब हर साल ना केवल श्री दगडूशेठ का परिवार बल्कि आसपास के सभी लोग बडे जोश के साथ यहां गणेशोत्सव मनाते हैं।
कनिपकम विनायक मंदिर चित्तूर
विघ्नहर्ता गणपति का यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर में है। माना जाता है कि यहां मौजूद गणपति अपने भक्तों के सारे पाप हर लेते हैं।विनायक के इस मंदिर की खासियत यह है कि ये विशाल मंदिर नदी के बीचों बीच बना हुआ है। इस मंदिर की स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी।जिसका विस्तार बाद में 1336 में विजयनगर साम्राज्य में किया गया।
मनकुला विनायक मंदिर, पुडुचेरी
मंदिर का इतिहास पुडुचेरी में फ्रेंच लोगों के आने के साल 1666 से भी पहले का है। शास्त्रों में गणेश के कुल 16 रूपों की चर्चा की गई है। इनमें पुडुचेरी के गणपति जिनका मुख सागर की तरफ है उन्हें भुवनेश्वर गणपति कहा गया है।तमिल में मनल का मतलब बालू और कुलन का मतलब सरोवर से है। किसी जमाने में यहां गणेश मूर्ति के आसपास बालू ही बालू था। इसलिए लोग इन्हें मनकुला विनयागर पुकारने लगे।
मधुर महागणपति मंदिर, केरल
मधुर महागणपति मंदिर का मंदिर केरल में है। कहा जाता है कि शुरुआत में ये भगवान शिव का मंदिर था लेकिन पुजारी के छोटे से बेटे ने मंदिर की दीवार पर भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। कहते हैं मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर बनाई हुई बच्चे की प्रतिमा धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगी। वो हर दिन बड़ी और मोटी होती गई। उस समय से ये मंदिर भगवान गणेश का बेहद खास मंदिर हो गया।
रणथंभौर गणेश मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के सवाई माधौपुर से लगभग 10 किमी. दूर रणथंभौर के किले में बना गणेश मंदिर भगवान को चिट्ठी भेजे जाने के लिए मशहूर है।खास बात यह है कि यहां रहने वाले लोगों के घर जब कभी कोई मंगल कार्य होता है तो वो सबसे पहले रणथंभौर वाले गणेश जी के नाम कार्ड भेजना बिल्कुल नहीं भूलते। यह मंदिर 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने बनवाया था।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर
मोती डूंगरी गणेश मन्दिर राजस्थान में जयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। लोगों की इसमें विशेष आस्था तथा विश्वास है।जयपुर में सेठ जय राम पालीवाल ने 18वीं शताब्दी में यह मंदिर बनवाया था। ‘गणेश चतुर्थी’ के अवसर पर यहां काफी भीड़ रहती है।
गणेश टोक मंदिर, गंगटोक
गणेश टोक मंदिर के लिए तीन मंजिले मकान के बराबर सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। मंदिर के अंदर नेपाली पुजारी तैनात दिखाई देते हैं। वे भक्तों को प्रसाद देते हैं और हाथों में कलावा बांध देते हैं। मंदिर के अंदर गणेश जी की विशाल और सुंदर प्रतिमा है। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा पथ बना है। इस परिक्रमा पथ से गंगटोक शहर का सुंदर नजारा दिखाई देता है।

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में त्रिचि नाम के स्थान पर रॉक फोर्ट पहाड़ी की चोटी है जहां भगवान गणेश का उच्ची पिल्लयार नाम का प्रसिद्ध मंदिर बसा हुआ है। यह मंदिर लगभग 273 फुट की ऊंचाई पर है और मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 400 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है।
