साल 2017 अब तक का दूसरा सबसे गर्म साल हो सकता है। नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज (जीआइएसएस) के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर अब तक का सबसे गर्म साल 2016 था।
नासा के मुताबिक, पिछले साल विश्व का औसत तापमान 1951 से 1980 के औसत से 0.9 डिग्री सेल्सियस अधिक था। नासा के विशेषज्ञों ने औसत तापमान निकालने के लिए दुनियाभर के 6,300 मौसम केंद्रों से जुटाए गए आंकड़ों का अध्ययन किया। इससे पहले नेशनल ओशियनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने 2017 को तीसरा सबसे गर्म साल बताया था। दोनों संस्थानों के आंकड़ों में अंतर अलग-अलग तकनीक से वैश्विक तापमान का विश्लेषण करने के कारण आया है। लेकिन दोनों ही संस्थानों के अनुसार अब तक के सबसे गर्म पांच साल 2010 के बाद ही रिकॉर्ड किए गए हैं।
जीआइएसएस के वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ जगहों पर तापमान सामान्य से बहुत कम रहने के बावजूद पिछले 40 वर्षो से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। पृथ्वी की सतह के तापमान में पिछली सदी के बाद से एक डिग्री से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। तापमान बढ़ने के प्रमुख कारकों में से एक अल नीनो और ला नीना गर्म हवाओं का असर 2015 से लेकर 2016 की पहली तिमाही तक देखा गया था। अल नीनो का असर कोई नहीं रहने के बावजूद 2017 का तापमान 2015 और 2016 के बीच में पाया गया है। पृथ्वी का तापमान बढ़ने का सबसे अधिक असर आर्कटिक क्षेत्र में पड़ा है, जहां लगातार बर्फ पिघल रही है।
