सी-डैक का सुपर कम्प्यूटर एक सेकंड में एक बिलियन-बिलियन तक की कैल्कूलेशन करने में सक्षम होगा
दुनिया का सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर एक सेकंड में एक हजार मिलियन मिलियन तक की कैल्कूलेशन करता है
गैजेट डेस्क. प्रीमियर इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन सी-डैक (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग) 64 बिट क्वाडकोर माइक्रोप्रोसेसर तैयार कर रही है, यह भारत में बनाया गया पहला चिपसेट होगा। सी-डैक सुपर कम्प्यूटर के निर्माण को लेकर भी काम कर रही है, जो एक बिलियन-बिलियन तक
डिफेंस क्षेत्र के लिए भी बना रहे नई एप्लीकेशन
सी-डैक के महानिदेशक हेमंत दरबारी ने कहा कि ” हम एक्सास्केल कम्प्यूटिंग (सुपर कंप्यूटर) के लिए एक बेहतरीन ऑर्किटेक्चर तैयार करने की और काम कर रहे हैं, जिसे 2022 तक तैयार कर लिया जाएगा
संस्था द्वारा तैयार किया जा रहा एक्सास्केल कम्प्यूटिंग सिस्टम एक एक्साफ्लोप यानी बिलियन बिलियन तक की गणना एक सेकंड में करता है, जबकि दुनिया के सबसे कम्प्यूटर 143.5 पेटाफ्लोप यानी एक हजार मिलियन-मिलियन तक की गणना एक सेकंड में करने में सक्षम है।
भारत के पहले 64 बिट क्वाडकोर माइक्रोप्रोसेसर को बनाने के अलावा सी-डैक इमेज प्रोसेसिंग और स्मार्ट एनर्जी मीटर के लिए नए प्रोसेसर रेंज तैयार करने को लेकर भी काम कर रही है।
साथ ही संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, लैंग्वेज कम्प्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ एवरीथिंग (कॉन्सेप्ट जिसमें किसी भी डिवाइस को इंटरनेट से जोड़ा जा सके) और सिक्योर कम्प्यूटिंग जैसे पांच मुख्य क्षेत्रों के लिए डिजाइन सिस्टम और एप्लीकेशन तैयार कर रहा है।
लैंग्वेज कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में सी-डैक जल्द ही स्पीच-टू-स्पीच ट्रांसलेशन प्रोजेक्ट लॉन्च करने वाला है, जिसमें अंग्रेजी को किसी भी भारतीय भाषा में बदला जा सकेगा।
पिछले कुछ महीनों में सी-डैक ने कई एप्लीकेशन बनाई है, जो ब्लॉकचेन समेत कई उभरती हुई नई तकनीक का इस्तेमाल करती है।
दरबारी ने कहा, “हमने अपनी डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर तकनीक बनाई है, जिसका उपयोग हम वर्तमान में आंध्र प्रदेश में एक लैंड रिकॉर्ड प्रोजेक्ट के लिए कर रहे हैं। यह रक्षा और स्ट्रैटेजिक एप्लीकेशन में उपयोग की जा सकेगी जहां सिक्योरिटी की काफी जरूरत पड़ती है।
इसके अलावा एक अन्य परियोजना किसानों को कीटों, पौधों की बीमारी और सिंचाई शेड्यूल की जानकारी जैसे व्यक्तिगत सुझाव भेजने के लिए वायरलेस सेंसर के उपयोग से संबंधित है।
