ओरेगांव, अमेरिका में दो कॉलेज छात्रों ने फर्जी आई फोन भेजकर एपल को 9 लाख डॉलर की चपत लगाई है। धोखाधड़ी का उनका तरीका बहुत आसान था। कुआन जियांग और यांगयांग झाउ ने वारंटी अवधि के भीतर एपल को यह कहकर सैकड़ों नकली आईफोन भेजे कि ये डिवाइस चालू नहीं हो रहे हैं। थोड़े दिन बाद डाक से असली फोन आ गए। बाद में इन्हें बाजार में बेच दिया गया। ओरेगांव की जिला अदालत में जांचकर्ताओं द्वारा अभी हाल पेश दस्तावेजों में यह जानकारी दी गई है।

कस्टम अधिकारियों द्वारा दो वर्ष पहले हॉन्गकॉन्ग से आए कुछ पार्सलों की जब्ती के बाद मामले की जांच शुरू हुई थी। इनमें चीन से आए मोबाइल फोन थे। डिवाइस के लोगो और डिजाइन एपल के आईफोन जैसे लगते थे। लेकिन, पैकिंग से अधिकारियों को संदेह हुआ। पता लगाने पर फोन नकली निकले। जांच से मालूम हुआ कि फोन झाउ के पते पर जा रहे थे। इस घोटाले में झाउ का पड़ोसी जियांग भी शामिल था।
एपल के रिकॉर्ड से ज्ञात हुआ कि जियांग ने वारंटी के तहत 3069 अाईफोन के क्लेम किए। सभी क्लेम में चार्जिंग न होने की खामी बताई। 1500 से अधिक दावे रद्द कर दिए गए। लगभग इतने ही मंजूर कर नए फोन भेज दिए। एपल के एक अधिकारी ने बताया, वापस भेजे गए आईफोन चल नहीं रहे थे। इस कारण फोन के नकली होने का पता लगने से पहले सही फोन भेजना पड़े। अदालत में पेश दस्तावेजों के अनुसार जियांग ने बताया, उसने 2017 में 2000 फोन जमा किए थे। उसने अमेरिका में मित्रों, रिश्तेदारों को फोन बदलने के काम में लगाया था। चीन में उसके एक सहयोगी ने असली फोन बेचे थे। वह चीन में रहने वाली जियांग की मां को पैसा देता था। यह रकम जियांग और झाउ का कमीशन था। मां ने पैसा उस अकाउंट में जमा किया जिससे अमेरिका में पैसा निकाला जा सकता था। एपल अकेली टेक्नोलॉजी दिग्गज कंपनी नहीं है जिसे ठगों ने निशाना बनाया है। अभी हाल में लिथुआनिया के एक नागरिक ने कंपनियों के फर्जी इनवायस जमा कर फेसबुक, गूगल से लाखों डॉलर की धोखाधड़ी कबूल की है। जांचकर्ताओं ने बताया, 2013 से 2015 के बीच दोनों कंपनियों ने उस व्यक्ति और उसके सहयोगियों को दस करोड़ डॉलर से ज्यादा दिए हैं। एपल के मामले में जिन दो लोगों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है, वे चीनी नागरिक हैं और स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं।
