विराट ने 8 सीजन में टीम की कप्तानी की, सिर्फ 2 बार ही बेंगलुरु प्लेऑफ में पहुंच पाई
बेंगलुरु ने इस सीजन में अब तक 1968 रन बनाए, इनमें से 1237 रन टॉप ऑर्डर के
खेल डेस्क. आईपीएल के 46वें मुकाबले में दिल्ली कैपिटल्स ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 16 रन से हरा दिया। इस हार के साथ विराट कोहली की टीम प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो गई। उसके 12 मैच में 8 अंक है। वह अंक तालिका में सबसे नीचे 8वें स्थान पर है। बेंगलुरु कोहली की कप्तानी में लगातार तीसरे सीजन में प्लेऑफ में पहुंचने में नाकाम रही। उसकी बल्लेबाजी, गेंदबाजी और कोहली की कप्तानी अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही।
बेंगलुरु के प्लेऑफ में नहीं पहुंचने की 5 वजहें
1. कोहली की खराब कप्तानी
इस सीजन में कोहली कप्तान के तौर पर कई बार नाकाम साबित हुए। गेंदबाजों के रोटेशन को लेकर कई बार उनकी आलोचना हुई। मोहम्मद सिराज को उन्होंने नौ मैच में मौका दिया, लेकिन उन्होंने 9.55 की इकॉनमी से रन दिए। नीलामी में उन्होंने स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज को नहीं खरीदा। इसके अलावा मोइन अली और मार्क्स स्टोइनिस जैसे गेंदबाजों का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाए।

बतौर कप्तान कोहली का सक्सेस रेट 45%
कोहली 2012 से बेंगलुरु के नियमित कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में बेंगलुरु 2015 और 2016 को छोड़कर कभी भी प्लेऑफ में नहीं पहुंच पाई। आईपीएल के 100 से ज्यादा मैच में कप्तानी कर चुके क्रिकेटर्स में उनका रिकॉर्ड सबसे ज्यादा खराब है। उन्होंने 108 मैच में 55 मुकाबले गंवाए हैं, जबकि सिर्फ 49 ही जीत पाए हैं।
टॉप-4 कप्तानों में सिर्फ कोहली ही 50 मैच नहीं जीत पाए
कप्तान मैच जीत हार टाई नतीजा नहीं
महेंद्र सिंह धोनी 169 102 66 0 1
गौतम गंभीर 129 71 57 1 0
विराट कोहली 108 48 55 2 3
रोहित शर्मा 100 57 42 1 0
2. मध्यक्रम फेल
बेंगलुरु ने इस सीजन में अब तक कुल 1968 रन बनाए। इनमें से टॉप-3 बल्लेबाजों के 1237 रन हैं। मध्यक्रम के बल्लेबाजों में मोइन अली और मार्क्स स्टोइनिस ने 431 रन बनाए। अक्षदीप नाथ, शिमरॉन हेटमायर, हेनरिक क्लॉसेन, कॉलिन डी ग्रैंडहोम और शिवम दुबे फेल रहे। ये पांचों मिलकर सिर्फ 162 रन ही बना पाए। यही कारण रहा कि टीम अच्छी शुरुआत के बावजूद कई बार बड़ा स्कोर नहीं बना पाई या लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई।
हेटमायर
3. विदेशी खिलाड़ी फेलक
एबी डिविलियर्स को छोड़कर बेंगलुरु के लिए कोई भी अन्य विदेशी खिलाड़ी अपेक्षा के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाया। मोइन ने 220 और स्टोइनिस ने 211 रन बनाए, लेकिन आईपीएल में यह बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। नीलामी में 4.2 करोड़ रुपए में खरीदे गए शिमरॉन हेटमायर पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुए। कोहली ने उन्हें चौथे नंबर के बल्लेबाज के तौर पर खरीदा था, लेकिन वे 4 मैच में 15 रन ही बना पाए। टिम साउदी गेंदबाज के तौर पर नाकाम रहे। वे 3 मैच में सिर्फ एक खिलाड़ी को ही पवेलियन भेज पाए। हेनरिच क्लासेन को दो मैच खेलने का मौका मिला, लेकिन वे कुल 3 रन ही बना पाए।
4. दूसरे स्पिनर की कमी खली
बेंगलुरु के पास युजवेंद्र चहल को छोड़कर कोई अन्य क्वालिटी स्पिनर नहीं है। ऑलराउंडर के तौर पर खेलने वाले पवन नेगी और मोइन अली गेंद के साथ बहुत कामयाब नहीं रहे। टीम ने इस सीजन में कुल 61 विकेट लिए। इसमें 26% यानी 16 विकेट चहल के हैं। टीम के अन्य तीन स्पिनर्स मिलकर 10 विकेट ही ले पाए। तेज गेंदबाजों ने 31 विकेट अपने नाम किए। बेंगलुरु की टीम 12 मैच में प्रतिद्वंद्वी टीमों के सिर्फ 4 खिलाड़ियों को ही रन आउट कर पाई।
5. टॉस का असर
कोहली इस सीजन में 12 मैच में तीन बार ही टॉस जीत पाए। वे जिन नौ मैचों में टॉस हारे उनमें से सिर्फ 3 में ही बेंगलुरु जीत हासिल कर पाई। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस सीजन में टॉस जीतने वालों टीमों ने ज्यादातर बार गेंदबाजी ही चुनी। नौ बार टॉस हारने के कारण विराट के पास रन चेज के विकल्प भी सीमित रहे।