ई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को पहली बार पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिये दलीलें रखी गईं। आधार कार्ड जारी करने वाली यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के सीईओ अजय भूषण पांडेय ने संविधान पीठ के 5 जजों के सामने आधार सिस्टम की जानकारी दी। इस दौरान जस्टिस एएम खानविलकर ने पूछा, “आधार का डेटा कितना सुरक्षित है? दूसरे पक्ष का दावा है कि इससे छेड़छाड़ संभव है।’ पांडेय ने कहा कि डाटा 2048-बिट इनक्रिप्शिन प्रणाली से सुरक्षित है। आधार की कोडिंग तोड़ने में सुपरकम्प्यूटर भी लगे तो ब्रह्मांड की उम्र से ज्यादा वक्त लगेगा। हालांकि, उन्होंने माना कि आधार सिस्टम में कई खामियां हैं। बायोमेट्रिक पर 100% निर्भर नहीं रहा जा सकता। वह 27 मार्च को अपनी दलीलें जारी रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट लाइव: दो स्क्रीनों पर सवा घंटे चला प्रेजेंटेशन
–यूआईडीएआई के सीईओ ने दोपहर बाद करीब 2.45 बजे प्रेजेंटेशन शुरू किया। यह 4 बजे तक चला। इसके लिए कोर्टरूम में दो बड़ी स्क्रीन लगाई गई थीं। एक संविधान पीठ की तरफ और दूसरी वकीलों की तरफ।
कोर्ट रूम में क्या हुआ, पढ़िए लाइव…
– अजय भूषण पांडेय:सरकारी पहचान पत्रों को लेकर कई समस्याओं के चलते देशभर में मान्य पहचान प्रक्रिया की जरूरत महसूस हुई। आधार ने सभी समस्याएं हल कर दीं। आपके पास आधार है तो बैंक खाता, वोटर कार्ड, मोबाइल नंबर या कोई भी सुविधा देश के किसी भी हिस्से में ले सकते हैं।
– जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: अगर कोई व्यक्ति फिंगरप्रिंट नहीं देता है तो क्या होगा? दलीलें भी हैं कि बुजुर्गों व बच्चों के फिंगरप्रिंट सही नहीं आते।
– पांडेय: इसके लिए रेटीना स्कैन का विकल्प है। हम बायोमेट्रिक पर 100% निर्भर नहीं रह सकते। आधार व्यवस्था में अभी कई खामियां हैं, जिन्हें सुधार रहे हैं।
– जस्टिस चंद्रचूड़: आधार एनरोलमेंट करने वाले 6.83 लाख लोगों में से 49 हजार ब्लैकलिस्ट किए गए हैं। क्यों?
– पांडेय: आधार एनरोलमेंट फ्री है और वो पैसे ले रहे थे। उन्होंने डाटा एंट्री में भी गलतियां की हैं।
– जस्टिस चंद्रचूड़:अथेन्टिकेशन नहीं होने पर सरकारी सुविधा से वंचित कर दिया जाता है। गरीब सुविधा से वंचित न रहें, इसके क्या इंतजाम हैं?
– पांडेय:बायोमेट्रिक के अलावा ओटीपी और ई-केवाईसी भी अथेन्टिकेशन के साधन हैं। सरकारी महकमों और मंत्रालयों से कहा गया है कि अथेन्टिकेशन न होने पर किसी को लाभ से वंचित न करें। क्यूआर कोड स्कैनिंग साॅफ्टवेयर की सुविधा शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
– जस्टिस चंद्रचूड़: क्या ऐसा कोई डेटा है कि अथेन्टिकेशन न होने की वजह से कितने लोगों को सरकारी सुविधाओं से वंचित किया गया?
– पांडेय: फिलहाल, ऐसा कोई रिकॉर्ड हमारे पास नहीं है।
– चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा:दूर-दराज के क्षेत्रों से गरीब मजदूरों को कैसे पता चलेगा कि उन्हें आधार का बायोमेट्रिक अपडेट कराना है। प्रक्रिया क्या होगी? अगर किसी का हाथ या उंगलियां कट जाएं?
– पांडेय: इनके लिए रेटीना स्कैन का विकल्प है। डेढ़ साल से सरकार ने किसी को भी बायोमेट्रिक देने के लिए नहीं कहा।
– जस्टिस खानविलकर:डेटा कितना सुरक्षित है? दूसरे पक्ष का दावा है कि आधार का सॉफ्टवेयर बाहर से लिया है। इससे छेड़छाड़ संभव है।
– पांडेय: आधार का डेटा हैक नहीं कर सकते। यह 2048-बिट इनक्रिप्शिन प्रणाली से सुरक्षित है। सबसे तेज कम्प्यूटर या सुपरकम्प्यूटर भी अगर आधार की कोडिंग तोड़ने में लगें तो ब्रह्मांड की उम्र से भी ज्यादा वक्त लग जाएगा। यह साॅफ्टवेयर दुनिया की सबसे बेहतर कंपनी से बनवाया है। यह भारत में ही विकसित किया गया है। डाटा सुरक्षित रखने को हमारे पास 6 हजार सर्वर हैं। विदेशी कंपनी से सहायता का मतलब यह नहीं कि उनके पास हमारा डाटा होगा। बायोमैट्रिक डाटा सेंट्रल डाटाबेस में रखा जाता है।
– पांडेय:27 मार्च को भी कोर्ट में अपनी दलीलें जारी रखेंगे।
आधार लिंक की सीमा कब तक बढ़ाई गई है?
– 13 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि आधार को जबरदस्ती सरकारी सेवाओं के लिए अनिवार्य नहीं किया जा सकता। आधार की वैधता पर फैसला आने तक इसे लिंक करने की तारीख आगे बढ़ाई जाती है।
– इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 31 मार्च तक फैसला देना संभव नहीं है। 15 दिसंबर को भी बैंक और मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने की सीमा 31 मार्च तक बढ़ाई थी।
आधार मामले में सुनवाई क्यों?
– याचिकाओं में बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से आधार लिंक करना जरूरी किए जाने के नियम को भी चुनौती दी गई है। पिटीशनर्स का कहना है कि ये गैर-कानूनी और संविधान के खिलाफ है।
– इनमें कहा गया है कि यह नियम संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत दिए गए फंडामेंटल राइट्स को खतरे में डालता है। हाल ही में 9 जजों की की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच ने कहा था कि राइट ऑफ प्राइवेसी फंडामेंटल राइट्स के तहत आता है।
आधार स्कीम को लेकर क्या चुनौतियां दी गई हैं?
– बता दें कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए केंद्र ने आधार को जरूरी किया है। इसके खिलाफ तीन अलग-अलग पिटीशन्स सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई थी। इनमें आधार की कानूनी वैधता, डाटा सिक्युरिटी और इसे लागू करने के तरीकों को चुनौती दी गई है।
– पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सरकार और उसकी एजेंसियां योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को जरूरी ना बनाएं। बाद में कोर्ट ने केंद्र को ये छूट दी थी कि एलपीजी सब्सिडी, जनधन योजना और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में लोगों से वॉलियन्टरी आधार कार्ड मांगे जाएं।
