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येदियुरप्पा बने कर्नाटक के सीएम: सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा ने तीसरी बार संभाली राज्य की कमान। कहा, बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों की नहीं होगी ज़रूरत। येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की याचिका पर इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपने-अपने समर्थक विधायकों की सूची सौंपने को कहा। आज होगी मामले में सुनवाई।

कर्नाटक में छिड़े सियासी घमासान के बीच भाजपा नेता बीएस येदुयरप्पा ने कल राज्य के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। येदियुरप्पा ने शपथ लेने के साथ ही राज्य के किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज़ माफ करने का ऐलान कर दिया। हालांकि कांग्रेस और जेडीएस राज्य में भाजपा सरकार बनने के विरोध में सड़क पर उतर आई और राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इससे पहले कांग्रेस जेडीएस गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर राज्यपाल के इस फैसले को कानूनी चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। आज इस मामले की फिर से सुनवाई होगी।

कर्नाटक में खंडित जनादेश आने के बाद तीन दिन से जारी जबरदस्त सियासी घमासान  के बीच 75 साल के बी एएस येदियुरप्पा ने गुरुवार सुबह 9 बजे जब राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो बीजेपी कार्यकर्ताओं का जश्न दोगुना हो गया । कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने राज्य में बीजेपी के दिग्गज नेता येदियुरप्पा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी । तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले येदियुरप्पा ने अकेले ही शपथ ली । सफेद सफारी सूट पर हरे रंग का शॉल पहने येद्दियुरप्पा ने ईश्वर और किसानों के नाम पर शपथ ली। पद की शपथ लेने से पहले येदियुरप्पा ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। शपथ ग्रहण के बाद येद्दियुरप्पा विधानसभा और राज्य सचिवालय गए और पद ग्रहण किया । येदियुरप्पा ने दावा किया कि वो सदन में बहुमत साबित करेंगे  और सरकार अपना 5 साल तक कार्यकाल पूरा करेगी ।

कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही येदियुरप्पा ने तेजी से फैसले लेने शुरु कर दिये । वादे के मुताबिक सबसे पहले येदियुरप्पा ने किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की। उन्होंने राज्य के चार आईपीएस अधिकारियों के तबादला भी कर दिया ।सरकारी लिपिक के तौर पर साधारण सी पहचान रखने वाले और एक हार्डवेयर की दुकान के मालिक बी एस येद्दियुरप्पा ने अपने राजनीतिक सफर में तमाम विपरीत परिस्थितियों में  किसी मंजे हुए नेता की तरह चुनौतियों का सामना किया और उन पर जीत हासिल की।

जनसंघ से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर वह अपने गृहनगर शिवमोगा जिले के शिकारीपुरा में बीजेपी के प्रमुख रहे। वर्तमान में शिवमोगा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे येद्दियुरप्पा साल 1983 में शिकारीपुरा विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गये। फिर इस सीट का उन्होंने पांच बार प्रतिनिधित्व किया। येदियुरप्पा पहली बार  नवंबर 2007 को राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन सात दिन के भीतर ही उनकी सरकार गिर गयी । 2008 के चुनावों में येद्दियुरप्पा के नेतृत्व में पार्टी ने जीत हासिल की और वो दोबारा सीएम बने । हालांकि भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते 31 जुलाई 2011 को इस्तीफा देना पड़ा। बाद में उन्होंने अलग पार्टी भी बनायी लेकिन  2014  के लोकसभा चुनाव से पहले वापस बीजेपी में आ गए ।

अब येदियुरप्पा सरकार को 15 दिनों के अंदर विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना होगा। हालांकि उनकी राह आसान नहीं दिख रही है । शपथ ग्रहण के खिलाफ ही जेडीएस और कांग्रेस विधायकों ने धरना दिया ।दोनों पार्टियों ने अपने विधायकों को एक रिसार्ट में रखा है । हालांकि मीडिया में कांग्रेस के कुछ विधायकों के लापता होने की भी खबरें आ रही हैं लेकिन गठबंधन के नेता 118 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं । वहीं बीजेपी भी कह रही है वो सदन में बहुमत साबित कर देगी ।

इस बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में बी एस येदियुरप्पा के शपथ लेने को ‘कर्नाटक के प्रत्येक लोगों’ की जीत बताया जिन्होंने कांग्रेस की भ्रष्ट और विभाजनकारी राजनीति को समाप्त करने के लिये वोट दिया.। अमित शाह ने भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में नई सरकार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। उन्होंने कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया- ‘लोकतंत्र की हत्या’ तो उसी समय हो गई जब उतावली कांग्रेस ने जद एस को अवसरवादी पेशकश की थी ..कर्नाटक के विकास के लिए नहीं बल्कि अपने तुच्छ राजनीतिक फायदे के लिए शर्मनाक

बीजेपी राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में 104 सीटें हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. वहीं चुनाव के बाद बने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 116 विधायक हैं । उन्होंने 2 अन्य विधायकों के समर्थन का भी दावा किया है । फिलहाल 222 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत 112 विघायकों की जरुरत है । इस बीच शुक्रवार सुबह साढे दस बजे इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी । फिलहाल सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के साथ ही शक्ति परीक्षण पर लगी है ।

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