जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियानों में लगे जवानों को दी जाएंगी ये राइफलें
एके-203 असाॅल्ट रायफल एके-47 राइफलों का सबसे उन्नत संस्करण
अमेठी स्थिति प्लांट में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड और रूस के संयुक्त उपक्रम के तहत इसका निर्माण होगा

श्रीनगर. भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगे जवानों को अपडेटेड एके-203 असाॅल्ट राइफलों से लैस करने की तैयारी में है। इसके साथ ही इसमें कुछ बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि इसे मुश्किल हालात में छोटा करके कार्बाइन की तरह इस्तेमाल किया जा सके और कपड़ों में छिपाया जा सके।
राइफल छोटी करने के लिए इसका बट हटाया जा सकता है
न्यूज एजेंसी ने सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से बताया कि इसके लिए रफ्तार के साथ काम किया जा राह है। 93 हजार कार्बाइन खरीदने के लिए अलग निविदा जारी की जा रही है। सूत्रों का कहना है- हम आतंकवाद विरोधी अभियानों में इस राइफल को परखना चाहते हैं।
सूत्रों ने बताया कि हम एके-203 का इस्तेमाल कार्बाइन (छोटी बंदूक) के तौर पर करना चाह रहे हैं, ताकि यह कपड़ों में आसानी से छिपाई जा सकेगी। इसके लिए इसका बट पूरी तरह हटाया जा सकता है। करीबी लड़ाई में कर्बाइन काफी मददगार होती है और कमरे में घुसने जैसे अभियानों के दौरान काफी प्रभावशाली हो सकती है।
एके-203 असाॅल्ट रायफल एके-47 राइफलों का सबसे उन्नत संस्करण है। उत्तरप्रदेश के अमेठी में स्थापित कंपनी में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड और रूस के संयुक्त उपक्रम के तहत इसका निर्माण होगा।
इस फैक्टरी में हर साल 75 हजार एके-203 राइफलें बनाई जाएंगी। नई असॉल्ट राइफल भी एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टमों से लैस होगी।
एके-47 की तरह यह राइफल भी एक मिनट में 600 राउंड फायर करेगी। लेकिन इसकी मारक क्षमता 350 मीटर के बजाय 500 मीटर होगी। चीन समेत 30 देशों में बन रही इस राइफल की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में होती है।