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भारत को मिली बड़ी सफलता, भगोड़े विजय माल्या को लाने का रास्ता हुआ साफ, लन्दन कोर्ट ने दी प्रत्यर्पण की मंजूरी.

समय दर्शन:-  भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्‍या को भारत लाए जाने का रास्‍ता साफ हो गया है। लंदन की कोर्ट ने माल्‍या के प्रत्‍यर्पण को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि वह ऊपरी कोर्ट में अपील कर सकता है। माल्‍या को 14 दिन में फैसले के खिलाफ अपील करनी होगी। वहीं सीबीआइ ने लंदन कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। सीबीआइ ने कहा, ‘हम जल्द ही उसे लाने और केस को खत्म करने की उम्मीद करते हैं। सीबीआइ की अपनी अंतर्निहित शक्तियां हैं। हमने इस मामले पर बहुत मेहनत की। हम कानून और तथ्यों पर मजबूत थे, प्रत्यर्पण प्रक्रिया का पालन करते समय हमें इस बात का विश्वास था।’ फैसला आने से पहले विजय माल्‍या ने वहां मौजूद मीडिया से कहा कि कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वह उसे मंजूर होगा। उसने कहा, ‘मैंने किसी का पैसा नहीं चुराया, मैं लोन लिया हुआ पैसा चुकाने को तैयार हूं। लोन का प्रत्यर्पण से कोई संबंध नहीं है।’ बैंकों की ऋण राशि का भुगतान करने के प्रस्ताव पर विजय माल्या ने कहा कि जैसा कि मैंने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय में मामला चल रहा है। इस बारे में उच्च न्यायालय को फैसला तय करने दें। 

इस सुनवाई के दौरान सीबीआइ के संयुक्त निदेशक और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो अधिकारी उपस्थित रहे। धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के मामले में वांछित माल्या पर भारतीय बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। ब्रिटेन में पिछले साल अप्रैल में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। अभी वह जमानत पर है। माल्या ने मनी लांड्रिंग के आरोपों के बाद देश छोड़ दिया था। वह मार्च, 2016 से लंदन में है। भारत सरकार लगातार उसके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है। पिछले साल चार दिसंबर को लंदन की मजिस्ट्रेट अदालत में माल्या के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी।

इस मामले में भारत सरकार की ओर से क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) केस देख रही है। सीपीएस के प्रमुख मार्क समर्स का कहना है कि मानवाधिकारों के आधार पर माल्या के प्रत्यर्पण में कोई बाधा नहीं है। वहीं माल्या का बचाव पक्ष यह साबित करने के प्रयास में है कि किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा बैंकों से लिया गया पैसा कारोबारी विफलता के कारण डूबा। इसमें बेईमानी या धोखाधड़ी नहीं की गई।

सीबीआइ की तरफ से उपस्थित रहेंगे साई मनोहर 
सोमवार की सुनवाई के लिए सीबीआइ की तरफ से संयुक्त निदेशक एस साई मनोहर उपस्थित रहेंगे। मनोहर विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की जगह लेंगे। अब तक माल्या से संबंधित सुनवाई में अस्थाना शामिल होते रहे हैं। फिलहाल निदेशक आलोक वर्मा के साथ चल रही तकरार के मामले में सरकार ने अस्थाना से सभी अधिकार छीनते हुए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है।

जारी रहेगी ईडी की जांच
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विजय माल्या की वह मांग खारिज कर दी थी, जिसमें उसने ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाने की अपील की थी। ईडी ने मुंबई स्थित विशेष अदालत में अर्जी दाखिल कर मांग की है कि माल्या को नए कानून के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जाए। ऐसा होने से ईडी को माल्या की संपत्ति जब्त करने का अधिकार मिल जाएगा। ईडी की इस कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए माल्या ने बांबे हाई कोर्ट में याचिका दी थी। पिछले महीने वहां से अर्जी खारिज होने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

कर्ज की पूरी रकम चुकाने को तैयार
इस बीच, हर ओर से फंदा कसता देख माल्या ने बैंकों का 100 फीसद कर्ज चुकाने का प्रस्ताव दिया है। उसने बुधवार को इस संबंध में ट्वीट किया था। उसने कहा था कि वह बैंकों का पूरा कर्ज चुकाने को तैयार है। उसका दावा है कि वह 2016 से ही कर्ज चुकाने का प्रस्ताव दे रहा है, लेकिन भारत सरकार ने उसके प्रस्ताव का कोई उत्तर नहीं दिया।

सुप्रीमकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगाने से किया इनकार
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने विजय माल्या की याचिका पर नोटिस जारी किया लेकिन उसने मुंबई की धन शोधन मामले की रोकथाम संबंधी विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।

माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की मांग
प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष अदालत से लंदन में रह रहे कारोबारी माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का अनुरोध किया है। इस कानून के तहत यदि किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया गया तो उस पर मुकदमा चलाने वाली एजेंसी को उसकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है।

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