चुनाव में धांधली के आरोपों के बीच पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी नतीजों में सबसे आगे, इमरान खान बन सकते हैं देश के प्रधानमंत्री, जीत के बाद पहली प्रेस कांफ्रेस में इमरान खान ने कहा 22 साल की मेहनत हुई साकार.
पाकिस्तान आम चुनावों मे व्यापक धांधली के आरोपों के बीच पूर्व क्रिकेटर इमरान खान देश के नए प्रधानमंत्री बनने की ओर बढ रहे हैं। चुनाव आयोग के नतीजों और रुझानों के मुताबिक इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज दूसरे और बिलावल भुट्टों की अध्यक्षता वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) तीसरे नंबर पर है।
पार्टी को मिली भारी बढ़त के बाद पार्टी कार्यकर्ता पाकिस्तान की सड़कों पर जश्न मना रहे हैं राजधानी इस्लामाबाद सहित कई शहरों में पीटीआई के सैकड़ों समर्थक सड़कों पर उतर आए और जश्न मनाया। इमरान की पार्टी भले ही जीत का जश्न मना रही है लेकिन पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज ने बड़े पैमाने पर धांधली होने का आरोप लगाते हुए चुनाव परिणाम को खारिज कर दिया। हालांकि पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने धांधली के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उसने अपना काम सही तरीके से किया है ।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में आगे चल रहे इमरान खान की पहली पहचान अपनी क्रिकेट टीम को विश्व विजेता बनाने वाले की रही है। पाकिस्तान के लाहौर में 5 अक्टूबर 1952 को जन्मे इमरान खान सियासत में कदम रखने से पहले वे एक क्रिकेटर के रूप में जाने जाते थे. अप्रैल 1996 में इमरान खान ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई, लेकिन पहली बार चुनाव लड़ने उतरे तो क्लीन बोल्ड हो गए. हालांकि सियासी मैदान में पहले चुनाव में हार मानने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी और संघर्ष करते रहे। आखिरकार 22 साल के बाद 2018 में उनकी पार्टी पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन जानकार उनकी जीत को पाक में सेना की जीत के तौर पर देख रहे हैं।
नेशनल असेंबली के साथ ही चार प्रांतीय असेंबलियों – पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा के लिए भी मतदान हुआ था। पंजाब में पीएमएल-एन 129 को बढत है तो सिंध प्रांत में पीपीपी आगे चल रही है। खैबर पख्तूनख्वा में पीटीआई आगे चल रही है। वहीं बलूचिस्तान में आवामी पार्टी आगे है।
पाक चुनावों के नतीजों की बड़ी बात ये भी रही है कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के समर्थन वाले अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक समेत चरमपंथी और प्रतिबंधित समूहों को व्यापक अभियान चलाने के बावजूद पाकिस्तान के आम चुनावों में करारी शिकस्त मिली। अभी तक के नतीजों के अनुसार उनमें से कोई भी संसदीय या प्रांतीय विधानसभाओं की एक भी सीट जीतते हुए नहीं दिख रहा।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं जिनमें से 272 को सीधे तौर पर चुना जाता है जबकि शेष 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। आम चुनावों में पांच फीसदी से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टियां इन आरक्षित सीटों पर समानुपातिक प्रतिनिधित्व के हिसाब से अपने प्रतिनिधि भेज सकती हैं। कोई पार्टी अकेले दम पर तभी सरकार बना सकती है जब उसे कुल 342 में से 172 सीटें हासिल हो जाए, लेकिन सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए इन प्रत्यक्ष निर्वाचन वाली 272 सीटों में से कम से कम 137 सीटों की जरूरत होती है । इमरान की पार्टी को सरकार बनाने के लिए कुछ सीटों की जरुरत होगी।
