भ्रष्टाचार को ख़त्म कर भ्रष्टाचारियों को क़ानून के दायरे में लाने के लिए भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश 2018 लागू हो चुका है और अब प्रवर्तन निदेशालय भी देश से पैसा लूट कर देश छोड़कर भागने वालों के खिलाफ शिकंजा कस रहा है नये अध्यादेश के बाद अब देश ही नहीं, विदेशों में भी मलया, नीरव मोदी, मेहुल चॉक्सी जैसे भगोड़े अपराधियों की संपत्ति ज़ब्त की जा सकेगी.
भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है
भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश 2018 जो राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद लागू हो गया है. अब प्रवर्तन निदेशालय इस अध्यादेश के तहत उन सभी भगोड़ों, और बैंक का लोन ना चुकाने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है जो अब तक क़ानून में नर्मी की वजह से उसकी गिरफ़्त से बाहर थे. सबसे पहले विजय मालया, नीरव मोदी, मेहुल चॉक्सी, जतिन मेहता और अन्य पर शिकंजा कसने की तैयारी है.
अब तक मालया के 9,890 करोड़ और नीरव मोदी-मेहुल चोकसी की 7,664 करोड़ की संपत्ति ज़ब्त की जा चुकी है लेकिन इस अध्यादेश के लागू होने के बाद अब देश – विदेश की वो सभी संपत्ति ज़ब्त की जा सकेगी जो मनी लॉंडरिंग एक्ट के दायरे से बाहर थी.
आर्थिक अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं।
1. 30 लाख से ज़्यादा के आर्थिक अपराध मामले में धन शोधन क़ानून के तहत कार्यवाही होती है. इस अध्यादेश के तहत 100 करोड़ या इससे ज़्यादा के फ्रॉड के मामलों में ये लागू होगा.
2. अभी तक धन शोधन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय पहले संपत्ति अटैच कर मामले में ट्रायल ख़त्म होने के बाद ही संपत्ति ज़ब्त कर सकता था जिसमें काफ़ी वक़्त लग जाता था लेकिन अब विशेष अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित होने के बाद तुरंत ये कदम उठाया जा सकेगा.
3. पहले आर्थिक अपराधी फ्रॉड कर देश छोड़कर भाग जाते थे ताकि भारतीय क़ानून से बच सकें लेकिन अब अगर वो समय सीमा के तहत क़ानून के नियमों का पालन नहीं करते तो भगोड़ा घोषित कर दिए जाएँगे जिसके बाद देश ही नहीं, विदेश की संपत्ति भी ज़ब्त हो सकती है. इसलिए संभावना बढ़ जाएगी की ये भगोड़े देश वापस आएँ और क़ानूनी प्रक्रिया का पालन करें.
प्रवर्तन निदेशालय इस अध्यादेश के तहत कार्रवाई करने वाली संस्था है :
प्रक्रिया के तहत विशेष अदालत में आर्थिक अपराधी को भगौड़ा घोषित करने के आवेदन के बाद अदालत द्वारा व्यक्ति को नोटिस जारी किया जाएगा. एक बार भगोड़ा घोषित होने पर देश-विदेश में एकत्रित सारी संपत्ति ज़ब्त की जा सकेगी जिसमे अपराध की कमाई से अर्जित संपत्ति, बेनामी संपत्ति , धन, ज़मीन, इत्यादि शामिल हैं.लेकिन अगर व्यक्ति खुद विशेष अदालत में पेश होता है तो प्रक्रिया समाप्त हो जाती है. इसके तहत ऐसे भगोड़े अपराधी भी आएंगे जिनपर जाली सरकारी स्टांप और करेंसी छापने, चेक बाउंस होने, मनी लॉन्ड्रिंग और कर्जदाता के साथ धोखाधड़ी करने के सौदे में लिप्त होनेक के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी है.
सरकार अन्य देशों के साथ भी इस मुद्दे को उठा रही है. विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के समक्ष माल्या के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया था,वहीं 13,700 करोड़ के फ्रॉड के मामले में लिप्त नीरव मोदी के हॉंगकॉंग में होने की सूचना के बाद सरकार ने हॉंगकॉंग से उसकी अस्थाई गिरफ्तारी का अनुरोध किया है ताकि वो होंग कॉंग से बाहर ना जा सके. उमीद है की क़ानून सख़्त होने से देश का पैसा लूटकर फरार होने वालों पर शिकंजा कसेगा और उन्हे अपने किए की उपयुक्त सज़ा भी मिलेगी.
