प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राष्ट्रमण्डल देशों के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे जहाँ दुनिया के 50 से ज़्यादा देशों के राष्ट्र प्रमुख एकत्रित होंगे। अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत के बढ़ते कद को देखते हुए इस मंच पर भी भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पीएम मोदी की इस यात्रा से चोगम के साथ भारत का सहयोग और बढ़ने की उम्मीद है।

20 साल बाद ब्रिटेन राष्ट्रमण्डल देशों के प्रमुखों के सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है और दुनिया के सामने मौजूद तमाम चुनौतियों को देखते हुए ये सम्मेलन काफी अहम हो गया है । गुरुवार से शुरु हो रहे इस सम्मेलन में सभी 53 देश संगठन के समक्ष मौजूद अवसरों और चुनौतियों। लोकतंत्र और शांति तथा समृद्धि को आगे बढ़ाने के बारे में साझा रूख तय करेंगे। बताया जा रहा है कि बैठक में 50 देशों के मुखिया हिस्सा ले रहे हैं ।
सम्मेलन में शांति , समृद्धि, सुरक्षा के साथ साथ व्यापार और निवेश बढ़ाने पर जोर रहेगा । वैश्विक आतंकवाद, संगठित अपराध तथा सायबर अपराध से निपटने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हो सकती है । बैठक के एजेंडे में जलवायु परिवर्तन, छोटे द्वीपीय देशों पर मंडराते खतरे प्रमुख है । इस दौरान विभिन्न देशों से कई अहम द्विपक्षीय समझौते हो सकते हैं। राष्ट्रमंडल सम्मेलन से पहले भारत ब्रिटेन संयुक्त बयान में भी दोनों देशों ने मिलकर राष्ट्रमंडल को मजबूत करने और साझा तथा वैश्विक चुनौतियों से निपटने का संकल्प जताया है।
संयुक्त बयान के मुताबिक राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक इन चुनौतियों का सामना करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि हम सम्मेलन के आधिकारिक विषय साझा भविष्य की ओर के तहत एक साथ आ रहे हैं और एकजुट हो रहे हैं । खास तौर पर ब्रिटेन और भारत जरुरी कदम उठाकर सभी राष्ट्रमंडल नागरिकों के लिए एक अधिक स्थायी, समृद्ध, सुरक्षित और न्यायपूर्ण भविष्य बनाने में मदद करने के लिए संकल्प व्यक्त करेंगे।
दोनों देश प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए दुनिया भर के देशों के साथ मिलकर काम करेंगे । साथ ही साइबर अपराध से निपटने में सदस्य देशों की क्षमता बढ़ाने के लिए मदद करेंगे। इसके अलावा विश्व व्यापार संगठन के व्यापार समझौते को लागू करने में तकनीकी मदद देकर सदस्य देशों की मदद करेंगे। सन 2009 के बाद यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री कॉमनवेल्थ समिट का हिस्सा बन रहे हैं । माल्टा में हुए पिछले सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी शामिल नहीं हो सके थे।
राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन राष्ट्रमंडल देशों के प्रमुखों का सम्मेलन है जिसमें ये नेता वैश्विक तथा राष्ट्रमंडल मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक मंच पर इकट्ठे होते हैं। ब्रिटिश शासन से मुक्त हुए देशों के बीच विश्वास पैदा करने और आपसी साझेदारी को बढावा देने के लिए इसकी स्थापना की गयी थी । इसका शिखर सम्मेलन प्रत्येक दो साल में आयोजित किया जाता है। इस बार ब्रिटेन समूह के प्रमुख की जिम्मेदारी लेगा और वह इस समूह का वर्ष 2020 तक प्रमुख रहेगा। हाल के दिनों में, राष्ट्रमंडल समेत कई वैश्विक संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। राष्ट्रमंडल देशों के सबसे अहम सदस्यों में शुमार भारत अब अंतर्राष्ट्रीय फलक पर बड़ी भूमिका निभा रहा है, और उम्मीद है इस लिहाज से यह सम्मेलन मह़त्वपूर्ण साबित होगा। राष्ट्रमंडल देशों का ये संघ भारत की वैश्विक आकांक्षाओं को नए आयाम देने में मददगार साबित हो सकता है।

