नयी दिल्ली: सरकार ने वित्तीय लेनदेन के लिए आधार नंबर और पैन अनिवार्य रूप से देने की अंतिम तिथि तीन महीने बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दिया है. गौरतलब है कि कल से सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आधार को विभिन्न सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं से अनिवार्य रूप से जोड़ने के केंद्र के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर कल सुनवाई करेगी.

प्रधान न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि संविधान पीठ उन आवेदनों पर सुनवाई करने के लिए कल दोपहर दो बजे बैठेगी जिनमें आधार को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने के केंद्र के फैसले के खिलाफ अंतरिम राहत की मांग की गई है.
केंद्र ने सात दिसंबर को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि विभिन्न सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने की समयसीमा को अगले साल 31 मार्च तक के लिए बढ़ाया जाएगा. उच्चतम न्यायालय ने 27 नवंबर को कहा था कि वह विभिन्न योजनाओं को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के केंद्र के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन पर विचार कर सकता है.
उसने 30 अक्तूबर को कहा था कि संविधान पीठ नवंबर के आखिरी सप्ताह से आधार योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी. हाल ही में उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. कई याचिकाकर्ताओं ने आधार की वैधता को चुनौती देते हुए दावा किया था कि यह निजता के अधिकारों का उल्लंघन करता है.
केंद्र ने 25 अक्तूबर को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ने की समयसीमा उन लोगों के लिए 31 मार्च 2018 तक बढ़ा दी गई है जिनके पास 12 अंकों की विशिष्ट बायोमीट्रिक पहचान संख्या नहीं है और जो इसे बनवाने के इच्छुक हैं.
अटॉनी जनरल ने न्यायालय को बताया था कि उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी जिन्होंने आधार कार्ड नहीं बनवाया लेकिन वे इसे बनवाना चाहते हैं. उन्होंने कहा था कि ऐसे लोगों को 31 मार्च तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने से मना नहीं किया जाएगा.
सरकार ने न्यायालय में कहा था कि जिन लोगों के पास आधार कार्ड है उन्हें इसे सिम कार्ड, बैंक खाते, पैन कार्ड और अन्य योजनाओं से जुड़वाना होगा. उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाकर्ताओं ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) संख्या को बैंक खातों और मोबाइल नंबर से जोड़ने को ‘‘गैरकानूनी तथा असंवैधानिक’ बताया है.
उन्होंने सीबीएसई के छात्रों के परीक्षाओं के लिए बैठने के वास्ते आधार को अनिवार्य बनाने के कथित कदम पर भी आपत्ति जताई है हालांकि केंद्र सरकार ने इसे खारिज किया है.
वहीं इससे पहले खबर आई थी कि सरकार ने कुछ निश्चित वित्तीय लेनदेन मसलन बैंक खाता खोलने के लिए आधार नंबर और स्थायी खाता संख्या :पैन: देने की 31 दिसंबर की समयसीमा को अगली सूचना तक टाल दिया है. कल एक गजट अधिसूचना के जरिये इस समयसीमा को वापस लिया गया है. नई समयसीमा के बारे में बात में सूचित किया जाएगा.
गजट में अधिसूचित नए नियम के तहत मनी लांड्रिंग रोधक कानून, 2002 में संशोधन किया गया है. इसमें 31 दिसंबर, 2017 तक आधार और पैन नंबर देने की अनिवार्यता को समाप्त किया गया है. इसमें यह प्रावधान है कि आधार नंबर और पैन नंबर या फॉर्म संख्या 60 को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जाने वाली नई तारीख तक देना होगा.
भारत विशिष्ट पहचान प्राधिकरण :यूआईडीएआई: 12 अंक की बायोमीट्रिक आधार संख्या जारी करता है. वहीं पैन आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है. फॉर्म 60 उस व्यक्ति द्वारा जारी किया जाता है :कंपनी नहीं: जिसके बाद पैन नहीं होता और वह कोई लेनदेन करता है.
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा कल जारी अधिसूचना के तहत बैंक खाता खोलने या अन्य इसी तरह की गतिविधियों के लिए आधार नंबर देने की समयसीमा को टाला गया है. इससे पहले केंद्र ने पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि वह विभिन्न सेवाओं और समाज कल्याण योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को जोड़ने की समयसीमा को बढ़ाकर 31 मार्च करने की इच्छुक है.
सात दिसंबर को पैन को आधार से जोड़ने की समयसीमा तीन महीने बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 की गई है. पीएमएलए के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों को बैंक खाता खोलने या 50,000 रुपये या उससे अधिक के वित्तीय लेनदेन के लिए आधार, पैन और अन्य आधिकारिक दस्तावेज लेने होते हैं.
कल जारी अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे खाते जिनमें अधिसूचित तारीख तक पैन और आधार नंबर नहीं दिया गया है, उनका परिचालन रुक जाएगा. ग्राहक द्वारा आधार नंबर और पैन नंबर देने के बाद ही ऐसे खातों को चालू किया जाएगा. देश में मनी लांड्रिंग और काले धन के सृजन को रोकने के लिए पीएमएलए एक प्रमुख कानूनी ढांचा है.
पीएमएलए के नियमों के तहत रिपोर्टिंग इकाइयों मसलन बैंकों, वित्तीय संस्थानों तथा अन्य इकाइयों के लिए ग्राहक की पहचान और अन्य रिकॉर्ड रखना जरूरी होता है. इस सूचना को भारत की वित्तीय खुफिया इकाई को भेजना होता है.