मोटापा और हताशा व चिंता जैसी भावनात्मक समस्याएं 7 साल की उम्र से ही विकसित होने लगती हैं। एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है। इस अध्ययन को मोटापे पर यूरोपीय कांग्रेस की एक बैठक में प्रस्तुत किया गया था। इस राष्ट्रव्यापी अध्ययन में 12,000 से अधिक स्वीडिश बच्चों को शामिल किया गया, जिसमें पाया गया कि सामान्य आबादी में अपने साथियों की तुलना में मोटापे से जूझ रही लड़कियों में चिंता या अवसाद विकसित होने की संभावना 43 प्रतिशत अधिक थी। ठीक उसी तरह, मोटापे से ग्रस्त लड़कों में सामान्य लड़कों की तुलना में चिंता व अवसाद का जोखिम 33 प्रतिशत अधिक था। अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता लुईस लिंडबर्ग ने कहा, “हम आबादी-आधारित समूह के साथ तुलना के रूप में मोटापे से ग्रस्त बच्चों में चिंता और तनाव विकारों का स्पष्ट रूप से जोखिम बढ़ा हुआ देखते हैं।
लिंडबर्ग ने कहा, “इन परिणामों से सामने आया है कि मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों में चिंता व अवसाद का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।”
चिंता और तनाव सामान्य भार वाले बच्चों की तुलना में मोटापे से ग्रस्त बच्चों में अधिक पाया जाता है लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसके जुड़ाव के पीछे क्या कारण हैं। अधिक सबूत मुहैया कराने के लिए शोधकर्ताओं ने आबादी आधारित राष्ट्रव्यापी अध्ययन किया ताकि चिंता व तनाव के स्वतंत्र जोखिम कारकों की पहचान की जा सके। 2005 से 2015 के बीच स्वीडिश चाइल्डहुड ओबेसिटी ट्रीटमेंट रजिस्टर से 6 से 17 साल के बीच के करीब 12,507 बच्चों की तुलना सामान्य आबादी के 60,063 बच्चों से की गई, जिसमें उनके लिंग, जन्मवर्ष और रहने के स्थान का मिलान किया गया।
शोध दल ने माइग्रेशन पृष्ठभूमि, न्यूरोसाइकियाट्रिक विकारों, पारिवारिक मानसिक रोग और सामाजिक आर्थिक स्थिति सहित चिंता और अवसाद को प्रभावित करने वाले ज्ञात कारकों को समायोजित किया। कुल 4,230 बच्चों और किशोरों में औसतन 4.5 वर्षों में चिंता या अवसाद विकसित हुआ। बचपन और किशोरावस्था में मोटापे को स्पष्ट रूप से तनाव और चिंता के अधिक जोखिम के साथ जोड़ा गया। अध्ययन की अवधि के दौरान सामान्य आबादी की तुलना में मोटापे से ग्रस्त लड़कियों (छह फीसदी की तुलना में 11.6 फीसदी) और लड़कों (4.1 फीसदी की तुलना में 8 फीसदी) में तनाव व चिंता का अधिक जोखिम पाया गया।
लिंडबर्ग ने कहा, ”युवा लोगों में बढ़ते मोटापे और बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के मद्देनजर बचपन के मोटापे, अवसाद और चिंता के बीच संबंधों को समझना जरूरी है।” उन्होंने कहा, ”मोटापे और तनाव व चिंता के बीच संबंध के पीछे के तंत्र की व्याख्या के लिए भविष्य में अध्ययन की जरूरत है। ”
