विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने प्रसव के लिए सीजेरियन सेक्शन अपननाने को खतरनाक बताते हुए गर्भावस्था और प्रसव के दौरान इलाज को लेकर नई अनुशंसाएं जारी की हैं। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि यदि कोई परेशानी नहीं है तो नॉर्मल डिलीवरी के जरिए ही बच्चे का जन्म होना चाहिए।
20 साल पहले तक सिर्फ गंभीर मामलों में प्रसव के लिए इस्तेमाल होने वाले सीजेरियन सेक्शन या ऑक्सीटोसिन देने जैसे उपायों का चलन डॉक्टरों में बढ़ता जा रहा है। इससे मां-बच्चे के स्वास्थ्य के साथ बच्चे के विकास पर भी असर पड़ता है। डब्ल्यूएचओ की सहायक महानिदेशक (परिवार, महिला, बच्चे एवं किशोर) नॉथेंबा सिमेलेला ने कहा कि हम चाहते हैं कि महिलाएं सुरक्षित माहौल में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की सहायता से बच्चे को जन्म दें।
हालांकि, बच्चों के जन्म की सामान्य प्रक्रिया में बढ़ती चिकित्सकीय दखलंदाजी जन्म देने के महिला की अपनी क्षमता को कमजोर कर रही है और महिला व बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। सिमेलेला ने कहा, यदि प्रसव सामान्य रफ्तार से हो रहा है और महिला का शरीर अच्छी अवस्था में है तो प्रसव की रफ्तार तेज करने के लिए अतिरिक्त चिकित्सकीय दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बच्चे का जन्म एक शारीरिक प्रक्रिया है, जो कि ज्यादातर महिलाओं और बच्चों के मामले में बिना किसी जटिलता के हो सकता है। हालांकि, अध्ययन बताते हैं कि बड़ी संख्या में स्वस्थ गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान कम से कम एक चिकित्सकीय उपचार से गुजरना पड़ता है। कई बार तो उन्हें गैरजरूरी और नुकसान पहुंचा सकने वाले रूटीन चिकित्सकीय उपचारों से भी गुजरना पड़ता है। यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों को आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रहा है।
