जनहित याचिका पर सुनवाई करते बिलासपुर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, अधिकारियों ने दिया चुनाव में व्यस्तता का हवाला
अपहरण के पांच दिन बाद भी विराट का पता नहीं, 20 अप्रैल की शाम घर के बाहर भाजपा कार्यालय के सामने से किया है अगवा
बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर शहर की बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अपहरण किए गए बच्चे का 5वें दिन भी पता नहीं है। शहर में हत्याएं हो रही हैं। ये कैसी पुलिसिंग है। दरअसल, राज्य सरकार की तरफ से एक मामले में जवाब प्रस्तुत करने के लिए अधिकारियों ने चुनाव में व्यस्तता का हवाला दिया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था के लिए चुनाव में व्यस्तता की आड़ लेना ठीक नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा- अब तो चुनाव संपन्न हो गए हैं, कानून व्यवस्था के लिए आड़ ठीक नहीं
हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू की बेंच में बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिकारियों के लोकसभा चुनाव में व्यस्तता का हवाला देते हुए जवाब प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई। हाईकोर्ट ने कहा कि अब तो चुनाव भी संपन्न हो गए हैं। शहर से खुलेआम एक बच्चे का अपहरण कर लिया जाता है। पांच दिन भी पुलिस उसकी तलाश नहीं कर सकी है। पिछले कुछ दिनों से हत्याएं बढ़ गई हैं।
फोन आते ही बढ़ जाती है धड़कनें
बिलासपुर के करबला से 20 अप्रैल की शाम घर के बाहर खेल रहे बर्तन व्यवसायी के 6 साल के विराट का अपहरण कर लिया गया था। वैन से आए बदमाश उसे लेकर चले गए। तत्काल नाकेबंदी करने के आदेश दिए गए, लेकिन बच्चे का पता नहीं चला। पुलिस का दावा है कि कई टीमें लगाई गई हैं, लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अपहरण के पांचवें दिन भी विराट का कोई सुराग नहीं मिला। घरवालों का बुरा हाल है। मां की आंखें रो रो कर सूज गई है, पिता के सब्र का बांध टूटने लगा है।
उनके मोबाइल में जब भी कॉल आता है, सभी को लगता है, विराट की ही खबर है। पिता कॉल उठाते हैं तो उम्मीद लगाए सभी उनके इर्द गिर्द सभी खड़े हो जाते हैं। पिता एक मिनट के लिए मोबाइल को अपने से दूर नहीं कर रहे। यदि कभी अनजान नंबर से मिस कॉल आ जाता है तो उसे तत्काल रिप्लाई करते हैं। विराट के घर में परिजन व जान पहचान के लोगों को दिनभर आना जाना है। हर आदमी विराट के जल्दी लौटने की उनके मां पिता को तसल्ली दे जाता है। स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं, डीजी को बार-बार स्पेशल टीम भेजना पड़ रहा
पिछले कुछ दिनों से लोकल पुलिस केवल छोटे मोटे अपराधी,चोरों को पकड़ने तक की सीमित है और जो भी अपराध हल हो रहा है उसमें केवल साइबर सेल की ही भूमिका रहती है। बाकी केवल वसूली करने के एक्सपर्ट है ।शहर में जब भी कोई बड़ी घटना होती है हर बार मुख्यालय से जांच के लिए अलग से टीम बनाकर भेजना पड़ रहा है। 15 मार्च को रिंग रोड नंबर दो में हुए शुभम हत्याकांड के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर एएसपी ओपी शर्मा के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया।
कबाड़ संचालक से पूछताछ अपहर्ता के मिलने की अफवाह
विराट के पिता का काम कबाड़ से भी जुड़ा हुआ है। वे इनसे भी सामान खरीदते हैं। पुलिस कतियापारा से एक चर्चित कबाड़ संचालक को बुधवार को पूछताछ करने लेकर थाने गई तो लोगों ने उसे ही अपहर्ता मान लिया और वाट्सअप में एक दूसरे को मैसेज भेजना शुरू कर दिया। यह जानकारी कुछ देर बाद ही पूरे शहर में आग की तरह फैल गई। परिजन व पुलिस के पास फोन कर लोग इसकी तस्दीक करने में लगे हुए थे। विराट की तलाश के एएसपी ओपी शर्मा के नेतृत्व में पुलिस टीम रायपुर,बालौद महासमुंद, अंबिकापुर गई, लेकिन खाली हाथ लौट आई।
इसी महीने हो चुकी हैं तीन बड़ी घटनाएं, पुलिस की जांच पर उठ रहे सवाल
मरवाही थाने पिटाई से मौत का मामला : 10 अप्रैल को जमीन विवाद को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराने थाने गए चंद्रिका तिवारी 65 वर्ष व उनके बेटे दिनेश तिवारी को पुलिस ने कपड़े उतरवाकर लॉकअप में बेदम पिटाई की। इससे चंद्रिका की पुलिस हिरासत में ही मौत हो गई। 13 दिन बीत गए पर इस मामले में अभी तक दोषियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। जांच बंद है।
खो-खो खिलाड़ी की संदिग्ध मौत : 19 अप्रैल को खो खो खिलाड़ी जरहाभाठा निवासी निशिता टंडन अपने घर से खेल परिसर जाने के लिए निकली थी पर लौटकर नहीं आई। दूसरे दिन सुबह उसकी परसदा में पेड़ पर लटकी हुई लाश मिली। छात्रा की सहेलियों के अनुसार रात को युवक था, जिससे उसका झगड़ा हो रहा था। निशिता ने खुद फोन कर उन्हें जानकारी दी थी पर पुलिस को इस केस में जांच के लिए फुर्सत नहीं है।
