नान घोटाले में सरकार ने फरवरी में किया था निलंबित, गैरकानूनी फोन टैपिंग को लेकर हो रही पूछताछ
सुबह ही आईपीएस गुप्ता ने कहा था- पहले आपने मेरा काम देखा, अब क्या हो रहा ये देखें
रायपुर. निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता जिस ईओडब्ल्यू (आर्थिक अन्वेषण शाखा) के चीफ हुआ करते थे, उसी कार्यालय में गुरुवार को आरोपी बनकर पहुंचे। उनसे करीब तीन घंटे तक पूछताछ की गई। इस दौरान उनसे 16 बिंदुओं पर सवाल किए गए। हालांकि पूछताछ में आईपीएस गुप्ता ने क्या बताया, इस संबंध में ईओडब्ल्यू की ओर से जानकारी देने से मना कर दिया गया है। साथ ही आईपीएस गुप्ता के भी मीडिया से बात करने पर रोक लगाई गई है।
दो दिन बाद पूछताछ के लिए पहुंचे, पहले से तैयार सवालों के लिए गए जवाब
ईओडब्ल्यू ने आईपीएस मुकेश गुप्ता को फोन टैपिंग मामले में नोटिस भेजकर 23 अप्रैल को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वो उसे दिन बाद गुरुवार को पेश हुए। अनुसंधान शाखा ने 16 बिंदुओं पर पहले से पहले से तैयार किए गए सवाल उनसे पूछे। ईओडब्ल्यू चीफ आईजी जीपी सिंह ने बताया कि आईपीएस मुकेश गुप्ता से जिन विषयों पर पूछताछ की गई है, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। आगे भी उनको पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
इससे पहले आईपीएस गुप्ता गुरुवार को भी देर से करीब 11.45 बजे अपने वकील के साथ मुस्कुराते हुए ईओडब्ल्यू कार्यालय पहुंचे। अंदर पूछताछ के लिए जाने से पहले गुप्ता ने कहा आप लोगो ने पहले भी मेरा काम देखा है, और अब क्या हो रहा है ये भी देख रहे हो। बाकी बातें बाद में करेंगे। सफेद कमीज पहने निलंबित आईपीएस गुप्ता ने कार्यालय के बाहर ही पोज देकर करीब 5 मिनट तक फोटो खिंचवाई।
नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले को राज्य सरकार ने 9 फरवरी को को डीजी व आईपीएस मुकेश गुप्ता और नारायणपुर एसपी रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया था। दोनों के खिलाफ 8 फरवरी को गैरकानूनी तरीके से फोन टैपिंग को लेकर एफआईआर दर्ज हुई थी। फोन टैपिंग का यह मामला 2015 का है। उस वक्त मुकेश गुप्ता ईओडब्ल्यू और एसीबी के एडीजी थे। फोन टैपिंग में एफआईआर होने को लेकर यह प्रदेश में पहला मामला है। इस घोटाले में अभी तक कई अधिकारियों पर शिकंजा कस चुका है।
