Chhattisgarh

‘जनतंत्र’ के आगे हारा नक्सली ‘गनतंत्र’, न धमकी से डरे न बम के धमाके से, 45 % मतदान

पहले चरण में छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट के लिए हुआ चुनाव, महिलाओं में रहा सबसे ज्यादा उत्साह
मतदान से दो दिन पहले ही दंतेवाड़ा में नक्सली हमले हुए थे भाजपा विधायक भीमा की हुई थी मौत, 4 जवान हुए थे शहीद 
श्यामगिरी में जहां वारदात हुई थी, वहां महिलाएं, वृद्ध व युवा 4 किमी दूर से पहुंचे मतदान करने
दूसरे चरण में अब 18 अप्रैल को तीन सीटों कांकेर, महासमुंद व राजनंदगांव सीट पर मतदान
रायपुर/दंतेवाड़ा.  छत्तीसगढ़ की नक्सल प्रभावित बस्तर के लिए गुरुवार को हुए मतदान में न धमकी काम आई और न धमाके। नक्सलियों के ‘गनतंत्र’ के आगे मतदाताओं का ‘लोकतंत्र’ हावी रहा। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में शाम 4 बजे तक 45 प्रतिशत वोट पड़े। शाम 4 बजे तक करीब 45 फीसदी मतदान होने की खबर है। फिलहाल चुनाव आयोग की ओर से अभी आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।
इसका बड़ा हिस्सा महिलाओं को समर्पित है। उनके उत्साह ने नक्सलियों की धमकियों को पैरों तले रौंद दिया। मतदान से दो दिन पहले ही मंगलवार शाम दंतेवाड़ा में नक्सली हमला और उसमें  भाजपा विधायक भीमा मंडावी की मौत व 4 जवान शहीद हो गए थे। बावजूद इसके श्यामगिरी में जहां वारदात हुई थी, वहां महिलाएं, वृद्ध व युवा 4 किमी दूर से मतदान करने पहुंचे। दूसरे चरण में अब 18 अप्रैल को तीन सीटों कांकेर, महासमुंद व राजनंदगांव सीट पर मतदान होगा।
मतदाताओं में उत्साह, नक्सलियों से न डरेंगे, न डिगेंगे
पहले चरण में गुरुवार सुबह 7 बजे से शुरू हुआ मतदान, निर्विध्न संपन्न हुआ। उत्साह इतना ज्यादा था की धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी मतदान शुरू होने से पहले ही लोग पोलिंग बूथ पर पहुंच गए थे। नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार को देखते हुए 294 अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों का स्थान भी बदला गया था। 1 लाख से अधिक मतदाता प्रभावित हुए, बावजूद इसके वोट करने के लिए अपने गांव से 15 से 35 किमी तक का सफर तय किया। सबसे खास रहा दो दिन पहले नक्सली हमले में मारे गए भाजपा विधायक भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी भी परिवार सहित मतदान करने पहुंची।
अबूझमाड़, जहां पहली बार हुआ मतदान
इस लोकसभा चुनाव में बस्तर में एक नया इतिहास लिख गया। नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले अबूझमाड़ इलाके में आजादी के बाद पहली बार लोगों ने नक्सगढ़ को लोकतंत्र के सहारे ढहा दिया। इस इलाके के हरिमरका में पहली बार बनाए गए पोलिंग बूथ में मतदाताओं ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। हालांकि दंतेवाड़ा में चुनाव बहिष्कार के नक्सली फरमान का अंदरूनी इलाकों में खासा असर दिखाई दिया। इसके चलते आलनार में 0 ,पुरंगेल 0, कलेपाल 1 समलवार 0 ,गुमिया पाल 2, हिरोली 2, जबेली 6, बुरगुम 7, निलावाया 9, मुलेर 5, ककाडी 11, पोटाली 10 व मेंडपाल में 8 ही वोट पड़े।
जवानों की सतर्कता ने नक्सलियों के मंसूबों पर फेरा पानी
चुनाव बहिष्कार की धमकी दे चुके नक्सलियों ने नारायणपुर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ के ओरक्षा में मतदान के बाद लौट रही पोलिंग पार्टी पर फायरिंग कर दी। करीब 10 मिनट चली मुठभेड़ में एक जवान घायल हो गया, जबकि नक्सली भाग निकले। इससे पहले नारायणपुर में ही फरसगांव और दंडवन के बीच आईईडी ब्लास्ट किया। हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। वहीं बीजापुर में मतदान से पहले बेंद्रे इलाके में आईईडी विस्फोट करने जा रहे चार नक्सलियों को जवानों ने गिरफ्तार किया। पकड़े गए सभी माओवादी माड़ डिवीजन के सदस्य हैं। वहीं दंतेवाड़ा के कुआकोंडा के हल्बारास पोलिंग बूथ में नक्सलियों ने पोस्टर लगाए।
बस्तर लोकसभा से जुड़ी खास बातें
बस्तर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें हैं। इनमें जगदलपुर, कोंडागांव (एसटी), नारायणपुर (एसटी), बस्तर(एसटी), चित्रकूट (एसटी), दंतेवाड़ा (एसटी), बीजापुर (एसटी) और कोंटा (एसटी) शामिल है।
इस लोकसभा चुनाव में 7 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के बैदूराम कश्यप और कांग्रेस के दीपक बैज के बीच ही है। फिलहाल इस सीट पर भाजपा का 20 सालों से कब्जा है।
मतदान के लिए1880 केंद्र बनाए गए थे। इनमें 224 अति संवेदनशील व 12 संवेदनशील मतदान केंद्र थे।
मतदान के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए इस बार 350 कंपनियां लगाई गईं। 50 हजार जवान बस्तर में पहले से तैनात हैं।
बस्तर लोकसभा में 13 लाख 77 हजार 946 मतदाता हैं। 7 लाख 15 हजार 550 महिलाएं, 6 लाख 62 हजार 355  पुरुष और 41 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।

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