समय दर्शन:- विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे। यानी नतीजे आने में सिर्फ 4 दिन ही बचे हुए हैं। दलीय नेताओं और प्रत्याशियों की धड़कने तेज होने लगी है। वैसे आज शाम से एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे और इसी के साथ ही कयासों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। फिलहाल राजनीतिक पंडित चुनावी निष्कर्ष निकालने में जुटे हैं, लेकिन पक्के तौर पर कोई यह कहने की स्थिति में नहीं है कि छत्तीसगढ़ में किसकी बनेगी सरकार। विधानसभा चुनाव 2013 की तुलना में 2018 में इस बार 0.80 फीसदी कम वोटिंग हुई। 2013 में सिर्फ 0.75 फीसदी ज्यादा वोट पाकर भाजपा तीसरी बार सत्ता में काबिज हुई थी। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस की उम्मीदें जोगी कांग्रेस-बसपा गठबंधन, छोटे दल और निर्दलियों को मिलने वाले वोटों के प्रतिशत पर टिकी हुई हैं। इस वजह से राजनीतिक पंडित पिछले तीनों चुनाव के आंकड़ों को सामने रखकर माथापच्ची तो कर रहे हैं, लेकिन किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पा रहे। भाजपा नेताओं के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली के क्षेत्र में किए गए कार्यों को लेकर वे लोगों के बीच गए। भाजपा नेताओं का मानना है कि मतदाता कांग्रेस और जोगी कांग्रेस के नेताओं के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। इन सभी का भाजपा को लाभ मिलेगा।
भाजपा को वोटकटवा से लाभ होगा : प्रदेश में नई सरकार कौन बनाएगा इसका पता चलने में अब सिर्फ 4 दिन शेष हैं। नतीजे आने से पहले सभी दलों के दावे चरम पर हैं। भाजपा को उम्मीद है कि जोगी जितने वोट काटेंगे पार्टी उतनी ही मजबूत होगी। दूसरी ओर कांग्रेस को भरोसा है कि कर्जमाफी और बदलाव के नारे ने उसे बढ़त दिला दी है। भाजपा -कांगरे की गणित के अलावा जोगी गठबंधन के सहारे तीसरी शक्ति बन खुद को सत्ता के केंद्र के रूप में देख रहे है।
कांग्रेस को नुकसान : 2003 में भाजपा को कांग्रेस से 2.55 फीसदी अधिक वोट मिले थे, वहीं 2008 में यह अंतर 1.7 फीसदी पर आ गया था। जबकि 2013 के नतीजे आए तो दोनों दलों के बीच वोटों का अंतर केवल 0.75 फीसदी था। भाजपा और कांग्रेस नेता यह भी मान रहे हैं कि 2003 में विद्याचरण शुक्ल की अगुवाई में एनसीपी ने प्रदेश में जो भूमिका निभाई थी, इस बार जोगी कांग्रेस और बसपा गठबंधन उसी भूमिका में है।
कांग्रेस को जीत की पूरी उम्मीद : प्रदेश के कांग्रेसी नेता सरकार विरोधी लहर की बात कहकर खुश हो रहे है। 15 साल से वनवास काट रहे कांग्रेसी नेताओं को इस बार जीत की पूरी उम्मीद है। पार्टी नेताओं का दावा है कि किसानों की कर्ज माफी और बदलाव की हवा के कारण इस बार कांग्रेस सत्ता हासिल करेगी। इसके अलावा भाजपा सरकार के खिलाफ एंटीइंकमबेंसी, भ्रष्टाचार, धान-किसान, महंगाई, बेरोजगारी और शराबबंदी जैसे मुद्दों से भी पार्टी को आशाएं हैं। प्रदेश का ऐसा कोई विभाग नहीं है जहां रिश्वतखोरी न हो। इन सब बातों से पार्टी को फायदा मिलेगा।
जोगी कांग्रेस का दावा : उधर, किसान कर्जमाफी और युवाओं को रोजगार देने के वादे के साथ मैदान उतरी जोगी कांग्रेस का दावा है कि ये मुद्द्े जीत दिला रहे हैं, इसीलिए गठबंधन को लगता है कि वो तीसरी शक्ति को रूप में स्थापित होगा। जोगी कांग्रेस-बसपा का गठबंधन जातीय समीकरणों को ताकत मान रहा है। गठबंधन को उम्मीद है कि किंगमेकर वही होंगे। जहां तक बसपा का सवाल है, पिछले चुनावों में राज्य की 15 से ज्यादा सीटों पर उसके उम्मीदवारों को जितने वोट मिले, उतने से कांग्रेस या भाजपा उम्मीदवार की हार हुई थी।
