Chhattisgarh

इस दर्दनाक हत्या से 80 के दशक की फिल्मों की याद आ जाएगी, बचपन में हुई बाप की हत्या का 13 साल बाद लिया बदला

समय दर्शन:-  बचपन में बाप की मौत का बदला जवानी में बेटा हत्यारे से लेता है,ना सिर्फ बदला, बल्कि बाप के हत्यारे को बेटा ऐसी सजा देता है, कि रूह कांप जाती है ! बेटा इस बदले पर खुश होता है और उसे अहसास होता है कि उसने जो कसम खायी थी, उसे पूरा कर लिया”

ये कहानी बेशक आपको 80 के दशक में बनी फिल्मों में अमिताभ, दिलीप कुमार और राजेश खन्ना की याद दिलाती हो…लेकिन यहां जिस कहानी का हम जिक्र कर रहे हैं, वो कहानी फिल्मी नहीं, बल्कि रियल लाइफ स्टोरी है। जहां बाप की मौत का बदला लेने एक बेटा 13 साल तक मौका तलाशता रहा और फिर जब उसे एक दिन मौका मिला, तो बाप के हत्यारे को मौत के घाट उतार दिया। घटना राजधानी से सटे गरियाबंद जिले की है। जहां चार महीने पहले उप सरपंच की हुई हत्या मामले का पुलिस ने जब खुलासा किया, मौत के पीछे दफ्न एक फिल्मी खूनी राज का पर्दाफाश हुआ। हैवानियत के साथ की गयी सरपंच की हत्या के बाद उसे फांसी पर लटका दिया गया था।

गरियाबंद के मैनपुर स्थित तोपेंगा गांव के उपसरपंच की लाश पेड पर झूलते हुए मिली थी। मैनपुर पुलिस को जांच में इस बात की जानकारी मिली की हत्या में गांव के ही एक युवक पदुलोचन मरकाम की भूमिका हो सकती है। पुलिस ने पदुलोचन को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की। पहले तो युवक पुलिस को लगातार गुमराह करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने युवक से कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो पदुलोचन ने बताया कि उसने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिये ही उपसरपंच को मारा था। पदुलोचन ने बताया कि 2005 में उसके पिता कुशाल मरकाम की हत्या कर दी गयी थी जिसमें उपसरपंच बालाराम सोढ़ी की हत्या में शामिल होने की बात आयी थी। इसी का बदला लेने उसने अपने चार दोस्तो के साथ मिलकर पहले तो बालाराम सोढ़ी का अपहरण किया, उसके बाद उसके सारे कपड़े उतारकर पेड़ पर फांसी पर लटका दिया। ताकि गांव वालों को ये मामला आत्महत्या का लगे। घटना में शामिल पांच लोगों में दो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया हैं वहीं तीन आरोपी अभी फरार बताये जा रहे है। जिन्हें पुलिस जल्द ही गिरफ्तार करने की बात कह रही है।

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