समय दर्शन:- केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने बच्चों के बस्ते का बोझ तय कर दिया है। पहली बार कक्षा 10वीं तक के बच्चों के बस्ते के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। 10वीं तक के बच्चे अधिकतम पांच किलोग्राम का बस्ता ले जा सकेंगे। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग को एमएचआरडी के सचिव ने पत्र लिखा है।

प्रदेश की स्थिति देखें तो यहां बालापन पर बस्ते का बोझ भारी पड़ रहा है। नर्सरी व केजी वन के तीन साल के बच्चे चार किलो, तीसरी और चौथी के बच्चे छह से 10 किलो तक का बस्ता ढो रहे हैं। एमएचआरडी 20 नवम्बर, 2018 को सर्कुलर जारी किया है कि दूसरी क्लास तक के बच्चे को न ही स्कूल बैग लगाया जाए, न ही होमवर्क दिया जाए। अभी राजधानी में ही स्कूल प्रबंधकों ने बच्चों को छह से लेकर नौ तक किताबें तक लगाई हैं। इस मनमानी पर शिक्षा अफसर व जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
राजधानी की समता कॉलोनी, चौबे कॉलोनी, पेंशनबाड़ा, सिविल लाइन, टिकरापारा, न्यू राजेंद्र नगर, गुढ़ियारी समेत आउटर के ज्यादातर स्कूलों के बच्चों के बस्ते का बोझ अधिक है। इतना ही नहीं, एक साल पहले जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा ने छापामार कार्रवाई की थी तो बस्ते का बोझ अधिक मिला था। गौरतलब है कि साल 2012 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया था कि बस्ते का वजन बच्चे के वजन से 10 फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके आधार पर एमएचआरडी ने बस्ते का वजन क्या होना चाहिए, इसकी गाइडलाइन जारी कर दी है। इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए कहा गया है।
लक्ष्यदीप ने लागू कर दी गाइडलाइन
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने गाइडलाइन लागू कर दी है। एक सर्वे के मुताबिक देश के हरियाणा के बच्चे सबसे ज्यादा वजनी बैग ढोते हैं। इसके बाद गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के स्कूली बैग आते हैं।
कक्षा स्कूल बैग का भार
पहली से दूसरी – डेढ़ किलोग्राम
तीसरी से पांचवीं – दो से तीन किलोग्राम
छठवीं से आठवीं – चार किलोग्राम
आठवीं से नौंवीं – साढ़े चार किलोग्राम
कक्षा 10वीं – पांच किलोग्राम
(नोटः एमएचआरडी की ओर से जारी सर्कुलर में गाइडलाइन के मुताबिक बस्ते का वजन इतना होना चाहिए)
कक्षावार निर्धारित किताबें बच्चे ले जा रहे हैं
पहली और दूसरी कक्षा के लिए तीन-तीन किताबें चार से पांच किताबें व कॉपियां
तीसरी और चौथी कक्षा के लिए 4-4 किताबें छह से 10 किताबें
पांचवी के बच्चों के लिए छह किताबें आठ से 12 किताबें
छठी और सातवीं के लिए 10 किताबें 12 से 15 किताबें
आठवीं के लिए 13 किताबों निर्धारित 15 से 20 तक किताबें लागू
(नोटः कुछ स्कूलों ने तो मनमानी लिस्ट बनाई है। पहली और दूसरी क्लास में कई स्कूलों में छह से 12 किताबें तक हैं।)
बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर खतरा
छत्तीसगढ़ आर्थो एसोसिएशन की राजधानी में दो दिन पहले आयोजित रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित बीमारियों को लेकर सेमिनार में डॉ. रूसिमा टंडन ने कहा कि भारी बस्ते से बच्चे को सिरदर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द से लेकर कई अन्य शारीरिक व्याधियां पैदा हो जाती हैं। घुटनों में प्रेशर के कारण दिक्कत होती है और रीढ़ की हड्डी में सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।
सर्कुलर मिला है, होगा पालन
एमएचआरडी ने बस्ते के वजन को लेकर जो मापदंड रखा है, उसका सर्कलर मिला है। इसका पालन कराया जाएगा। इसका उल्लंघन की शिकायत आने पर कार्रवाई भी की जाएगी – एस प्रकाश, संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय
