छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां दलित कार्ड खेलने की तैयारी कर रही हैं। इसी क्रम में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर ने रायपुर पहुंचकर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के सुप्रीमो अजीत जोगी से मुलाकात की है। इस मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। प्रकाश अंबेडकर ने अजीत जोगी से भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील भी की है।

प्रकाश अंबेडकर ने अमर उजाला को बताया कि मध्यप्रदेश-राजस्थान जैसे राज्यों में कई महीनों से हवन करवाया जा रहा है, जिसमें लोगों को शपथ दिलाई जा रही है कि हम आरक्षण के खिलाफ हैं। देश एक गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है। मैं इस सिलसिले में कई राजनीतिक दलों के लोगों से मिल रहा हूं, इसलिए छत्तीसगढ़ आकर अजीत जोगी से मुलाकात की है। वहीं इस मुलाकात पर अजीत जोगी का कहना था कि यह एक महत्वपूर्ण मुलाकात है। इसके परिणाम आपको आने वाले समय में नजर आएंगे।
अमित शाह और राहुल गांधी की भी दलित सीटों पर नजर
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति की दस विधानसभा सीट आरक्षित हैं। प्रदेश में रहने वाली आबादी का कुल 12 प्रतिशत हिस्सा दलित समुदाय का है। सूबे में 44 प्रकार की अनुसूचित जातियां निवास करती हैं। यह कुल मतदाता का बड़ा हिस्सा है, जो 10 आरक्षित सीटें के अलावा करीब 60 प्रतिशत सीटों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। ऐसे में सबकी नजर इन्हीं सीटों पर है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हों या कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, दोनों ही नेता सतनामियों के आस्था केंद्र गिरौदपुरी में जाकर सिर झुका चुके हैं। सतनामी समाज छत्तीसगढ़ में दलितों का अगुआ समाज है। अजीत जोगी तो खुद को सतनामी भी कहते रहे हैं। ऐसे में वे सारे समीकरण पर विचार कर रहे हैं, जो प्रदेश के दलित वोटों को आकर्षित करने के काम आ सकें।
