बालोद। ग्राम अंगारी प्राइमरी स्कूल में सोमवार को चौथी कक्षा में पढ़ाई के दौरान शिक्षक तरुण कुमार ने तीन बच्चों को बिना किसी वजह बेरहमी से पिटाई कर दी। शिक्षक ने बच्चों को लकड़ी की एक छड़ी से मारा था। घटना दोपहर 12 बजे की है। उस वक्त तो घबराए हुए बच्चों ने कुछ नहीं बोला। बेचारे दर्द झेल कर कक्षा में बैठ गए। लेकिन मार से उनके शरीर में लाल निशान उभर आए थे। मामला सामने अपने के बाद अब आक्रोशित गांव वाले अब शिक्षकों की बर्खास्तगी पर अड़े हुए हैं।
स्कूल में पिटाई हाेने के बाद जब शाम 4 बजे बच्चे घर पहुंचे तो दर्द से कराहने लगे, और मामले की जानकारी अपने माता-पिता को दी। परिजन ने कपड़े उतार कर देखा तो उनकी आंखें भर आई। बच्चों के पीठ व बांह के पास सूजन हो गई थी। तत्काल तीनों बच्चों के परिजन सरपंच के पास गए। देखते देखते गांव का माहौल खराब होने लगा। परिजन शिक्षक को उसके घर जाकर पीटने की तैयारी करने लगे।
आक्रोश बढ़ता देख सरपंच ने प्रधानपाठक राम स्वरूप साहू को फोन कर बुलाया। उनके जरिए शिक्षक तरुण कुमार को लाटाबोड़ जाकर उनके घर से बुलाया गया। पालकों ने उन्हें खूब खरी खोटी सुनाई और मंगलवार को थाने में एफआईआर दर्ज कराने की बात कही। गांव में देर रात बैठक चली।
कहा नाराज लोगों ने
सरपंच राजेन्द्र सोनखुटिया ने कहा शिक्षक का यह कृत्य घिनौना है। अगर कोई बात थी तो बच्चे को डांट सकते थे। इस तरह बेरहमी से मारना गलत है। थाने में मामला दर्ज कराने के साथ शिक्षक को बर्खास्त करने की मांग करेंगे। पिता रोहित निषाद ने कहा शिक्षक स्कूल में एक पिता की तरह होता है। सब बच्चे उनके हैं, उन्हें ऐसा सलूक नहीं करना था। मारने से पहले उन्हें अपने बच्चों के बारे में सोचना था। हम उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
शिक्षा के मंदिर में शिक्षक का यह आचरण क्या किसी भी ढंग से उचित है
नहीं होती सख्त कार्रवाई
29 जनवरी को कोसमी के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक दो में मासूम कुलदीप खेल रहा था। तभी किसी बात को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता जमदारे ने उनकी पिटाई कर दी। मारने के निशान गाल पर बन गए थे। शिकायत महिला बाल विकास अधिकारी डोंडीलोहारा के साथ जनपद सीईअो, जनपद अध्यक्ष डोंडीलोहारा व सरपंच कोसमी को भी की गई। लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
शिक्षक तरुण कुमार बोले- मजाक से मारा था, गलती हो गई मुझसे
सवाल : आपने बच्चों को इतनी बेरहमी से क्यों मारा, अपने बच्चों का ख्याल नहीं आया क्या?
जवाब : मैंने मजाक से मारा था, पता नहीं था उन्हें जोर से लगा होगा।
सवाल : क्या बच्चों ने कोई गलती की, जिसकी इतनी बड़ी सजा उन्हें दिए हो?
जवाब : नहीं, बच्चों ने कोई गलती नहीं की, पढ़ाई के दौरान मैंने उन्हें बेवजह मार दिया।
सवाल : तो अब आगे क्या करना है?
जवाब : मुझसे गलती हो गई, इसका एहसास है, गांव वाले मेरे साथ जो करना चाहे मैं तैयार हूं।
5 साल तक हो सकती है सजा, एसपी को लिखेंगे पत्र
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य यशवंत जैन नई दिल्ली ने कहा कि आंगनबाड़ी हो या स्कूल या कोई और जगह, बच्चों को मारने वालों पर सख्त कार्रवाई करने का कानून बना है। जिसके तहत जांच में सही पाए जाने पर पालकों की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराने पर संबंधित शिक्षक को 3 से 5 साल तक की सजा हो सकती है। इस संबंध में कोई सूचना या शिकायत मिलती है तो मैं खुद एसपी को पत्र लिखूंगा कि संबंधित पर कार्रवाई हो। बच्चों के साथ जो गलत करेगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी।
इस मामले में क्या कहा अफसरों ने
आरटीई के तहत किसी बच्चे को मारना अपराध माना गया है। अगर शिक्षक ने ऐसा किया है तो जरूर कार्रवाई होगी। फिलहाल मुझे शिकायत नहीं मिली है। – जे मनोहरन, एडीईओ बालोद
मुझे मामले की जानकारी नहीं है। अगर गांव वाले थाने में शिकायत कर रहे हैं तो विभागीय कार्रवाई हम भी करेंगे। अगर गांव वाले बैठक लेकर सुलह कर लेते हैं। फिर भी शिक्षक को बुलाकर डांटेंगे। – बसंत बाघ, बीईओ बालोद
