Chhattisgarh

नीति आयोग की रिपोर्ट : वाॅटर मैनेजमेंट में छत्तीसगढ़ को 9वीं रैंक, एक पायदान फिसला

रायपुर/नई दिल्ली.भारत अपने इतिहास में सबसे गंभीर जल संकट से गुजर रहा है। पानी की कमी से लाखों लोगों और उनकी आजीविका खतरे में हैं। छत्तीसगढ़ में भी जल प्रबंधन की स्थिति बेहद खराब है।

देश में 60 करोड़ लोगों को पानी की गंभीर किल्लत झेलनी पड़ रही है। 75 प्रतिशत आबादी को पीने के पानी के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता है। इसके बावजूद जल प्रबंधन को लेकर कई राज्य गंभीर नहीं है। ये बात नीति आयोग की रिपोर्ट में सामने आई हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि गांवों में 84 प्रतिशत आबादी जलापूर्ति से वंचित है। जिन्हें पानी मिल रहा है, उसमें 70 प्रतिशत प्रदूषित है। रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ को 50 से भी कम अंक मिले हैं। छत्तीसगढ़ 9वीं रैंक के साथ एक पायदान नीचे आया है। प्रदेश को 49.1 अंक मिले हैं।

रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 20 प्रतिशत भूजल के स्त्रोत का अति शोषण हो रहा है। बारिश के पानी को बचाने के लिए, रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग के लिए राज्य जोर दे। क्योंकि यहां खेती का 60% से ज्यादा हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है।वाॅटर हार्वेस्टिंग के लिए केवल 40 फीसदी हिस्से में काम हो पाया है। राज्य शहरों में गंदे पानी के ट्रीटमेंट में फिसड्डी है। यहां शहरों में केवल 3% गंदे पानी का ट्रीटमेंट होता है। वैश्विक जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में भारत 120वें स्थान पर है। नदी विकास, जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी और नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत तथा उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने ‘समेकित जल प्रबंधन सूचकांक’ नाम से गुरुवार काे यह रिपोर्ट जारी की। इसमें जल प्रबंधन को लेकर राज्यों की रैंकिंग बताई गई है। इसमें गुजरात टॉप पर है। 2015-16 और 2016-17 के आंकड़ों के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार जल प्रबंधन में झारखंड का प्रदर्शन सबसे खराब है।

पूर्वाेत्तर के पहाड़ी राज्यों में त्रिपुरा टॉप पर है। नीति आयोग ने जल प्रबंधन क्षेत्र में राज्यों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने के लिए रैंकिंग शुरू की है। इसे 28 मानकों जैसे भूजल, जलाशयों का रखरखाव, सिंचाई, कृषि, पेयजल, नीति और प्रशासन को शामिल किया गया है।

जल प्रबंधन में टाॅप 5 राज्य : 1- गुजरात 2- मध्यप्रदेश 3- आंध्रप्रदेश 4- कर्नाटक 5- महाराष्ट्र
खराब जल प्रबंधन वाले 4 राज्य : 1- झारखंड 2- हरियाणा 3- उत्तर प्रदेश 4- बिहार
50 से कम स्कोर अलार्मिंग स्थिति है। क्योंकि 50 से कम अंक वाले राज्यों को पेयजल शुद्धता और गंदे पानी को ट्रीटमेंट के बाद उपयोगी बनाने की दिशा में काम करना अब और ज्यादा जरूरी होगा। वाॅटर हार्वेस्टिंग के लिए संजीदगी से कदम आगे बढ़ाने होंगे।

सुपेबेड़ा में किडनी रोग से 54 लोगों की मौत, 231 पीड़ित

बस्तर.यहां के जंगलों में हर साल सैकड़ों आदिवासी जहरीले पानी के कारण मरते हैं। बस्तर में 92, कोंडागांव में 40, कांकेर में 57, बीजापुर में 6 बस्तियों में फ्लोराइड युक्त पानी पाया गया। बीजापुर में 31 कस्बों के हजारों ग्रामीण फ्लोरोसिस से पीड़ित हैं। भोपालपटनम के गेर्रागुड़ा गांव में फ्लोराईड युक्त पानी पीकर बच्चों के दांत खराब हो गए हैं।

गरियाबंद. देवभोग का सुपेबड़ा गांव में बीते पांच साल में 54 मौतें किडनी फेल होने से हो चुकीं, ये सरकारी आंकड़ा है। 231 ग्रामीण किडनी रोग पीड़ित हैं। नए केस भी आ रहे हैं। लेकिन अब तक ग्रामीणों को साफ पानी मुहैया नहीं कराया जा सका। जबकि ये प्रमाणित हो चुका है कि गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने से ग्रामीण किडनी रोगी हो रहे हैं।

राजनांदगांव.जिले की 21 बस्तियां आर्सेनिक और 523 बस्तियां फ्लोराइड घुले पानी की समस्या से ग्रस्त हैं। गंदे पानी की शिकायत थाने तक पहुंच रही हैं। जिस हैंडपंप में आर्सेनिक या फ्लोराइड युक्त पानी मिल रहा है उसे लाल रंग से पेंट किया जा रहा है। कौड़ीकसा गांव में तो 20 साल में सरकार ने करोड़ों खर्च किए, पर कई गांवों में आर्सेनिकरोधी संयत्र तक बंद हो गए।

पानी नहीं नियोजन की कमी है

पानी की कमी नहीं है, पानी के नियोजन की कमी है। राज्यों के बीच जल विवाद सुलझाना, पानी की बचत करना और बेहतर जल प्रबंधन से सुधार हो सकता है।’-नितिन गडकरी, जल संसाधन मंत्री

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *