रायपुर. हमेशा साइकिल से चलने वाले केयूर भूषण काफी सादगी पसंद थे। उनका पृथक छत्तीसगढ़ आंदोंलन में काफी अहम योगदान रहा। बेमेतरा के जांता गांव में पढ़ाई के दौरान स्कूल में ही आजादी के संग्राम की चर्चा सुनते थे। उनको पढ़ाने वाले शिक्षकों की राष्ट्रीय भावना का असर उनके व्यक्तित्व पर पड़ा जिसके कारण वे भी रैलियों में झंडे लेकर जाने लगे। इस तरह धीरे-धीरे वे आजादी के आंदोंलन से जुड़ गए थे।
प्राइमरी की पढ़ाई के बाद वे रायपुर आ गए जहां पर उन्होंने सरकारी स्कूल में प्रवेश लिया । बताया जाता है कि केयूर भूषण ने 11 साल की उम्र से ही आजादी की लड़ाई में भाग लेना शुरु कर दिया था आैर जब वे सिर्फ 18 साल के थे तब उन्होंने 1942 के आंदोलन में भाग लिया आैर लगभग 9 महीने तक जेल में रहे थे। बाद में वे किसान मजदूर आंदोलन से जुड़े।
केयूर भूषण गांधीवादी चिंतक थे। उन्होंने संसद में 1980 से 1989 तक दो बार रायपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे छात्र जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में आगे रहे जिसके कारण मिडिल स्कूल से आगे नहीं पढ़ सके। इसके बाद वे कांग्रेस, कम्यूनिस्ट पार्टी और सर्वोदय में कार्य किया। वे हरिजन सेवक संघ के पदाधिकारी रह चुके हैं। इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
अंतिम संस्कार आज सुबह 10 बजे महादेव घाट पर
छत्तीसगढ़ के जाने-माने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, पत्रकार और छत्तीसगढ़ी साहित्यकार केयूर भूषण का गुरुवार को निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे। वे कुछ दिनों से बीमार थे आैर एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनका जन्म 1928 में तत्कालीन दुर्ग आैर वर्तमान बेमेतरा जिले के ग्राम जांता के मिश्रा परिवार में हुआ था। उनका मानना था कि जब लोगों में त्याग आैर तपस्या की भावना हाेगी, कानून कमजोर वर्गों को ध्यान में रखकर बनेंगे, तभी देश आगे बढ़ सकता है।
साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान: केयूर भूषण जाने-माने छत्तीसगढ़ी साहित्यकार भी थे। उनका छत्तीसगढ़ी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए छत्तीसगढ़ी शासन का पं. रविशंकर शुक्ल सदभावना पुरस्कार 2001 से सम्मानित किया गया। उनकी प्रमुख छत्तीसगढ़ी रचनाओं में लहर (कविता संग्रह), कुल के मरजाद (उपन्यास), कहां बिलागे मोर धान के कटोरा (उपन्यास), नित्य प्रवाह (प्रार्थना एवं भजन), कालू भगत (कहानी संग्रह), आंसू म फ़िले अचरा (कहानी संग्रह), मोर मयारुक, हीरा के पीरा (निबंध संग्रह), डोंगराही रद्दा (कहानी संग्रह), लोक-लाज (उपन्यास), समें के बलिहारी(उपन्यास), छत्तीसगढ़ के नारी रत्न, संपादन साप्ताहिक छत्तीसगढ़, साप्ताहिक छत्तीसगढ़ संदेश, त्रैमासिक हरिजन सेवा (नई दिल्ली), मासिक अंत्योदय (इंदौर) आदि हैं।
पत्रकारिता में योगदान
केयूर भूषण का पत्रकारिता मे भी काफी योगदान रहा। उन्होंने साप्ताहिक छत्तीसगढ़, साप्ताहिक छत्तीसगढ़ संदेश, त्रैमासिक हरिजन सेवा (नई दिल्ली) आैर मासिक अन्त्योदय (इंदौर) का संपादन भी किया।
प्रदेश और देश ने महान चिंतक खोया : रमन
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि ने केवल छत्तीसगढ़ ने, बल्कि पूरे देश ने एक महान चिंतक को हमेशा के लिए खो दिया है। वे राज्य के सच्चे हितैशी थे।
