Chhattisgarh

15 दिन में पीलिया से राजधानी में तीसरी महिला की मौत, अंबेडकर अस्पताल में दम तोड़ा

रायपुर.कांपा की एक महिला की सोमवार को पीलिया से मौत हो गई। 15 दिन में पीलिया के कारण राजधानी में यह तीसरी महिला की मौत है। पीलिया से निपटने के लिए अभी प्रशासन पूरे शहर में सुबह 6 बजे एक घंटे बिजली गुल कर रहा है। इसके बावजूद शहर के लोगों को साफ पानी मुहैया नहीं कराया जा सका है और पीलिया के मरीज लगातार बढ़े हैं।

मोवा स्थित एक निजी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र नायक के अनुसार मृत महिला के ब्लड टेस्ट में हेपेटाइटिस-ई की पुष्टि हुई थी और उसका लीवर फेल हो गया था। लोधीपारा (कांपा) निवासी अलका लिमजे इस अस्पताल में करीब हफ्ताभर भर्ती रहीं। आर्थिक कारणों की वजह से परिजन उसे रविवार को अंबेडकर अस्पताल ले गए, जहां सोमवार को उसकी मौत हो गई। कांपा इलाके में अलका दूसरी महिला है जो पीलिया का शिकार हुई है। इससे पहले कांपा की ही एक गर्भवती महिला व गोपालनगर (गुढ़यारी) में जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद एक अन्य महिला की मौत हो गई थी।

साढ़े 6 हजार नलों की 50 किमी पाइपलाइन नालियों में डूबीं, इन्हीं से गंदा पानी घरों तक

शहर के एक लाख घरों तक पानी पहुंचाने वाली नगर निगम की सप्लाई लाइनों के सर्वे में खुलासा हुआ कि इनमें से 65 सौ घरों की पाइप लाइनें गंदी नालियों में डूबी हुई हैं। ये भी ज्यादातर उन इलाकों की हैं, जहां पीलिया तेजी से फैल रहा है। निगम के ही सर्वे में यह बात सामने आ गई है कि 50 किमी पाइप लाइनें नालियों से गुजर रही हैं और जर्जर हैं, इसलिए उन्हें तुरंत बदलना होगा। इनमें निगम की 2 से 3 इंच तक की डिस्ट्रीब्यूशन लाइनों के अलावा वह पाइप भी हैं, जो लोगों ने अपने घरों तक पहुंचाए हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर यह आशंका जताई गई है कि तीन से पांच दशक तक पुरानी यही लाइनें जगह-जगह से लीक हैं और यहीं से सीवरेज वाटर घुलकर नलों के जरिये घरों तक पहुंच रहा है। सीवरेज वाटर में पनपे इकोलाई बैक्टीरिया के कारण ही पीलिया फैल रहा है।

राजधानी में पहली बार इस तरह का सर्वे हुआ है। इसके नतीजे चौंकाने वाले हैं, इसलिए निगम ने नालियों में डूबी इन पाइपलाइनों को ऊपर उठाने का प्रस्ताव भी आनन-फानन में बनाना शुरू कर दिया है। राजधानी में इस समय निगम ने 1200 किलोमीटर डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइन हैं। सर्वे की जो रिपोर्ट मिली है, इसके अनुसार इनमें से 50 किमी पाइपलाइन सीधे-सीधे नालियों के भीतर से गुजर रही है। ज्यादातर इलाके पुरानी बसाहटों वाले हैं। इससे 6500 कनेक्शन प्रभावित हो रहे हैं।

इसलिए नालियों में डूब गईं पाइपलाइनें
विशेषज्ञों के अनुसार राजधानी रायपुर की मुख्य बसाहट पहले 40 वार्डों तक सीमित थीं। उस वक्त निगम ने पाइप लाइन बिछाते समय भविष्य का प्लान नहीं किया। तब नालियों गहरी थीं, पानी नीचे से बहता था इसलिए ऊपर पाइपलाइनें बिछा दी गईं। जनसंख्या बढ़ने से सीवरेज वाटर के बहाव का स्तर बढ़ा। यही नहीं, सफाई नहीं होने से नालियां उथली होती चली गईं। इसके अलावा, सड़कों पर डामर और कांक्रीट की परत चढ़ने से नालियां और पाइपलाइनें भी नीचे होती गईं। इन्हें उठाने के बजाय वहीं छोड़ दिया गया। बरसों पानी से संपर्क के कारण ये सड़ने लगीं और लीक हो गईं।

रैंडम सर्वे हुआ 15 दिन में
निगम ने सभी 8 जोन के रेवेन्यू तथा सफाई अमले की टीम बनाकर जोन के वार्डों में रैंडम सर्वे का काम सौंपा। इन टीमों ने जोन के हर वार्ड में जाकर देखा कि लाइनें कहां से गुजर रही हैं। 15 दिन में हर जोन ने रिपोर्ट दी। इसे कंपाइल करने से 50 किमी का आंकड़ा आया।

पुराने 40 वार्डों में ही खतरा
जोन-7 के सर्वाधिक इलाके यानी निगम के पुराने 40 वार्डों में ही सबसे ज्यादा समस्या है। इनमें सदरबाजार, गोलबाजार, चूड़ीलाइन, बैजनाथपारा, ब्राम्हणपारा, पुरानी बस्ती, नहरपारा, कांपा, गुढ़ियारी, खमतराई, मौदहापारा, रामसागर पारा, जोरापारा इत्यादि इलाके शामिल हैं।

6 महीने में हो पाएगा काम
पाइप लाइन के जानकारों के मुताबिक पाइप लाइन डालने का काम एक्सपर्ट की निगरानी में हुआ, तब भी एक किलोमीटर लाइन बदलने में 10 दिन लग सकते हैं। अगर तीन यूनिट बनाकर अलग-अलग जगह काम शुरू हुआ तो 50 किमी लाइन बदलने में 150-180 दिन लगेंगे।

भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला

चंगोराभाठा, सदरबाजार और मोवा में भी फैल गया है पीलिया

जिस दिन कांपा में पीलिया की वजह से पहली महिला की मौत हुई, अगले दिन वहां हेल्थ कैंप लगाया गया और पीलिया के 50 संदिग्ध मिले। एक हफ्ते तक अफसरों ने जांच और दवाइयां बांटने के दावे किए। लेकिन हालात ऐसे हैं कि वहां रोज पीलिया के 10-15 नए मरीज सामने आ रहे हैं। सोमवार को जब वहां दूसरी महिला की मौत हुई, भास्कर ने सरकारी रिकाॅर्ड जांचे। पता चला कि पीलिया लगातार बढ़ रहा है और मरीजों की संख्या 150 से ज्यादा हो गई है। यही नहीं, पीलिया कांपा के अलावा राजधानी के चंगोराभाठा, सदरबाजार और मोवा में भी फैल गया है और मरीजों की संख्या 250 से अधिक हो गई है।

जहां पीलिया फैला है, वहां नल के पानी में मिला इकोलाई बैक्टीरिया

टेल एंड तक पहुंचे पानी में क्लोरीन कम है। पीलिया से राजधानी में पहली मौत के बाद प्रशासन और निगम ने आपात इंतजाम के दावे किए। कैंप लगाए, पाइप लाइनों को ठीक करने का काम शुरू किया। लेकिन यह एक-दो दिन चलकर बंद हो गया। अंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में 20 से ज्यादा मरीज पीलिया के हैं। लालपुर, देवेंद्रनगर व मोवा के बड़े-छोटे अस्पतालों में 50 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। निजी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सुनील खेमका ने बताया कि अधिकांश मरीज हेपेटाइटिस-ई के शिकार हैं। यह बीमारी दूषित पानी पीने से होती है।

सब इंजीनियर, सेनेटरी इंस्पेक्टर सस्पेंड हुए पर सुधार नहीं हुआ

सीएमओ कार्यालय के नोडल अधिकारी डॉक्टर आरके चंद्रवंशी ने बताया कि जिन लोगों को पीलिया होने की आशंका है, उनका ब्लड सैंपल जांच के लिए नेहरू मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। नगर निगम ने पानी सप्लाई में लापरवाही के आरोप में एक सब इंजीनियर व एक सेनेटरी इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया है, इसके बावजूद हालात नहीं सुधरे हैं।

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