यह बताना पड़ेगा कि उनके पास किस कंपनी के कितने शेयर
आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2018-19 के रिटर्न फॉर्म नोटिफाई किए
80 साल से अधिक उम्र वालों को ऑनलाइन के बजाय पेपर फाइलिंग की छूट
नई दिल्ली. आयकर विभाग ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2018-19 (असेसमेंट वर्ष 2019-20) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न के नए फॉर्म नोटिफाई कर दिए। आईटीआर-1 (सहज) अब सिर्फ सैलरी वालों के लिए रह गया है। कंपनियों के डायरेक्टर और अनलिस्टेड कंपनियों में इन्वेस्ट करने वाले यह फॉर्म नहीं भर सकेंगे। शेल कंपनियों और कालेधन पर लगाम लगाने के मकसद से ऐसा किया गया है।
अनलिस्टेड कंपनियों में शेयर खरीद-बिक्री का मूल्य भी बताना होगा
लिस्टेड-अनलिस्टेड कंपनियों के डायरेक्टरों को आईटीआर-2 फॉर्म भरना पड़ेगा। इसमें डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डिन) के साथ बताना पड़ेगा कि किस कंपनी में उनकी कितनी शेयरहोल्डिंग है। अनलिस्टेड कंपनियों में निवेश करने वालों को बताना पड़ेगा कि शेयर कितने में खरीदे या बेचे, खरीदने या बेचने की तारीख क्या थी और उनके पास कितने शेयर हैं।
क्लियरटैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता के अनुसार ये डायरेक्टर अब आईटीआर-1 या 4 नहीं भर सकेंगे। उनके लिए आईटीआर-2 और 3 हैं। लॉ कंसल्टेंसी फर्म नांगिया एडवाइजर्स के डायरेक्टर शैलेश कुमार ने कहा, ‘सरकार टैक्स चोरी रोकना और करदाताओं की संख्या बढ़ाना चाहती है। नए फॉर्म इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं। इस बार करदाताओं को रिटर्न भरते वक्त ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ेगी।’
जिसे दान किया उसकी पूरी जानकारी देनी पड़ेगी
दान देकर टैक्स में छूट क्लेम करने वालों को बताना पड़ेगा कि दान किसे दिया, उसका नाम-पता, पैन, कितनी रकम कैश में दी। विदेश में कहीं इन्वेस्ट कर रखा है तो उसकी जानकारी भी देनी पड़ेगी।
कंपनियों के रिटर्न को जीएसटी रिटर्न से मिलाया जाएगा
आईटीआर-3, 4 और 6 भरने वाली कंपनियों को बताना पड़ेगा कि उन्होंने पूरे साल में कितनी सप्लाई की। इसे जीएसटी रिटर्न से मिलाकर देखा जा सकता है। आईटीआर-4 भरने वालों के लिए जीएसटीआईएन की जानकारी देना पिछले साल ही जरूरी कर दिया गया था। इस बार आईटीआर-3 और 6 भरने वालों के लिए भी जीएसटीआईएन देना जरूरी हो गया है।
रिफंड नहीं चाहिए तब भी ऑनलाइन फाइलिंग जरूरी
पेपर फाइलिंग वही कर सकेंगे जिनकी उम्र 80 साल से ज्यादा है और आईटीआर-1 या 4 भर रहे हैं। बाकी सबको ऑनलाइन रिटर्न भरना पड़ेगा। पहले 5 लाख तक कमाई वाले रिफंड क्लेम नहीं करते थे तो पेपर फाइलिंग की छूट थी।
आईटीआर-1: दूसरे स्रोतों से आमदनी है तो बताना पड़ेगा कि किससे कितनी कमाई हुई
यह फॉर्म उनके लिए है जिनकी सैलरी और ब्याज जैसे दूसरे स्रोतों से सालाना आय 50 लाख रु. तक है। खेती से कमाई 5,000 रु. तक है। इसमें 40,000 रु. तक स्टैंडर्ड डिडक्शन का विकल्प दिया गया है। पिछले साल तक दूसरे स्रोतों से कुल आमदनी बतानी पड़ती थी। इस बार इसकी पूरी डिटेल देनी पड़ेगी कि किस स्रोत से कितनी कमाई हुई।
आईटीआर-2: खेती से कमाई दिखाने वालों को जमीन की भी पूरी जानकारी देनी होगी
यह उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों के लिए है जिनकी कमाई बिजनेस में मुनाफे से नहीं होती। खेती से कमाई वालों को जमीन का माप, किस जिले में जमीन है, अपनी है या लीज पर, सिंचाई का इंतजाम किया या बारिश से सिंचाई होती है आदि भी बताना पड़ेगा। रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी से कमाई वालों को किरायेदार की जानकारी देनी पड़ेगी।
आईटीआर-6: स्टार्टअप्स के लिए अलग कॉलम
यह फॉर्म कंपनियों के लिए है। इसमें स्टार्टअप्स के लिए पहली बार अलग कॉलम दिया गया है। उन्हें निवेशकों, उन्हें जारी किए गए शेयरों की कीमत और उनसे मिली रकम की जानकारी देनी पड़ेगी। अनलिस्टेड कंपनियों को भी ये सूचनाएं देनी पड़ेंगी।
