नई दिल्ली. जॉनसन एंड जॉनसन के हिप इम्प्लांट नाकाम होने से पीड़ित मुंबई के एक मरीज को 74 लाख 57 हजार 180 रुपए चुकाने होंगे। केंद्र की विशेषज्ञ समिति और एक राज्य स्तरीय कमेटी की सिफारिश पर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने कंपनी को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
नवंबर 2018 में मंजूर हुआ था मुआवजे का फॉर्मूला

दोषपूर्ण हिप इम्प्लांट के मामले में जॉनसन एंड जॉनसन को मुआवजे के निर्देश मिलने का यह पहला मामला है। कंपनी को सीडीएससीओ का आदेश मिलने के 30 दिन में भुगतान करना पड़ेगा। पिछले साल नवंबर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुआवजे का फॉर्मूला मंजूर किया था। इसके मुताबिक आर्टिकुलर सरफेस रिप्लेसमेंट (एएसआर) हिप इम्प्लांट के पीड़ित मरीजों को 30 लाख रुपए से 1.23 करोड़ रुपए तक का मुआवजा दिया जाएगा। यह फॉर्मूला उन मरीजों के लिए है जिनका अगस्त 2010 से पहले हिप इम्प्लांट हुआ था। जॉनसन एंड जॉनसन ने 2010 में हिप इम्प्लांट फेल होने की शिकायतों के बाद दुनियाभर के बाजारों से दोषपूर्ण हिप इम्प्लांट वापस मंगवाए थे। भारत में 2017 में सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों का पैनल गठित किया था।
देश में ऐसे 4,700 लोग हैं जिन्हें आर्टिकुलेट सरफेस रिप्लेसमेंट (एएसआर) इम्प्लान्ट के बाद दिक्कतें हुईं। दुनियाभर के कई मरीजों को दोबारा सर्जरी करवानी पड़ी। जॉनसन एंड जॉनसन ने 1947 में भारत में कारोबार शुरू किया। इसने बेबी पाउडर बेचने से शुरुआत की थी। यह अब कई तरह के मेडिकल उपकरण भी बेचती है। पिछले साल कंपनी के बेबी पाउडर में भी कैंसर के तत्व पाए जाने की शिकायतें सामने आई थीं। हालांकि, कंपनी इसके सुरक्षित होने का दावा किया है।
