पीएम ने कहा कि बजट न्यू इंडिया के सपने को पूरा करने वाला है। बीजेपी संसदीय दल की बैठक में भी बजट की तारीफ की गई।

वित्त मंत्री अरुण जेटली जब अपने सहयोगी मंत्रियों के साथ बजट का पिटारा लेकर संसद भवन पहुंचे तो लोगों की उम्मीदें चरम पर थीं. वित्त मंत्री के सामने थी जनता की आकांक्षाओं और उम्मीदों को पूरा करने की चुनौती तो साथ में ही अर्थव्यवस्था को विकास की पटरी पर बुलेट ट्रेन की रफ्तार से दौड़ाने का दबाव. संसद में ठीक ग्यारह बजकर तीन मिनट पर वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण का पिटारा खोला तो उसमें समाज के हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ था. वित्त मंत्री ने साफ किया कि उनके बजट का लक्ष्य नए भारत का निर्माण करना है.
नरेंद्र मोदी सरकार का अगले आम चुनाव से पहले यह अंतिम पूर्ण बजट था. इसलिए इस बजट से काफी उम्मीदें थीं. वित्त मंत्री ने अपने बजट में जहां गांव, गरीब, किसान और महिलाओं को फायदे पहुंचाए, वहीं नौकरीपेशा और आम आदमी को भी कुछ राहत दी. वित्त मंत्री ने बजट में स्वास्थ्य, परिवहन, शिक्षा और कृषि से जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाएं की तो बुनियादी ढांचे के लिए तमाम कदमों का एलान कर दिया.
पीएम मोदी ने आम बजट को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि ये बजट सवा सौ करोड़ लोगों की उम्मीदों को पूरा करने वाला है और देश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे गरीब, किसान और मध्यम वर्ग की समस्याएं कम होंगी और इसमें ईज ऑफ लिविंग के लिए कदम उठाए गए हैं.
गांव के विकास के लिए प्रावधान
गांवों पर मेहरबान होते हुए वित्त मंत्री ने आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए 2018-19 के बजट में 14 लाख करोड़ से ज्यादा का प्रावधान किया है. सरकार ने गांवों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में 2 करोड़ शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा है, वहीं सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे.
ग़रीब के सशक्तिकरण के लिए प्रावधान
वित्त मंत्री ने साल 2022 तक हर गरीब को घर देने के लक्ष्य को एक बार फिर दोहराया. देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों को अस्पतालों में इलाज के लिए 5 लाख रुपये दिए जाएंगे. इससे देश के 50 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे.
किसान के विकास के प्रावधान
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. किसानों को समर्थन मूल्य का तोहफा देते हुए वित्त मंत्री ने खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1.5 गुना कर दिया है. साथ ही 2000 करोड़ रुपये की लागत से कृषि बाजार बनाने का भी प्रावधान भी किया है. 500 करोड़ की लागत से ऑपरेशन ग्रीन्स शुरू किया जाएगा. किसानों को कर्ज के लिए बजट में 11 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी किया गया है.
युवाओं और छात्रों के लिए प्रावधान
युवाओं के लिए बड़ी घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार इस साल देश में 70 लाख नए रोजगार पैदा करेगी. 50 लाख युवाओं को नौकरी के लिए सरकार ट्रेनिंग देगी. व्यापार शुरू करने के लिए सरकार 3 लाख करोड़ तक का फंड देगी. स्कूली शिक्षकों के लिए एकीकृत बीएड कार्यक्रम शुरू होगा. 18 आईआईटी और एनआईआईटी की घोषणा.
महिला सशक्तिकरण के लिए प्रावधान
5 करोड़ गरीब महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य था, अब इस लक्ष्य को 8 करोड़ कर दिया गया है. रोजगार में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. ईपीएफ में महिलाओं का योगदान 12 से 8 प्रतिशत किया गया है इससे महिलाओं को ज्यादा सैलरी नकद मिल सकेगी.
वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रावधान
वरिष्ठ नागरिकों को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने बजट में बैंकों तथा डाकघरों में जमा राशि पर ब्याज में छूट की सीमा 10 हजार से बढ़…
विमुद्रीकरण के बाद आयकर दाताओं की संख्या बढ़ी
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यिम ने कहा, विमुद्रीकरण और जीएसटी के बाद इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 18 लाख बढ़ी, 2018 के आर्थिक सर्वेक्षण में पहली बार राज्यों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर भी जानकारी की गई शामिल।
: संसद में कल पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में मार्च 2018 तक अर्थव्यवस्था की रफ्तार पौने सात फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है और उम्मीद जताई गई है कि अगले वित्तीय वर्ष यानि 1 अप्रैल 2018 से लेकर 31 मार्च 2019 तक भारत की विकास दर 7 से साढ़े सात फीसदी पर पहुंच सकती है। आर्थिक सर्वे में कृषि, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों पर खास ध्यान देने की बात की गई है। समीक्षा में कहा गया है कि विमुद्रीकरण और जीएसटी के कारण करीब 18 लाख अतिरिक्त टैक्सपेयर्स जुड़े हैं जो कुल टैक्सपेयर्स का तीन फीसदी है।
आर्थिक सर्वे में जिन तीन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की बात की गई है उनमें कृषि, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्र शामिल हैं। कृषि में उत्पादकता को बढ़ाने पर खास जोर दिया गया है। वहीं रोजगार की बात करें तो सर्वे में युवाओं और उनके बढ़ते कार्यबल की बात की गई है खास तौर पर महिलाओं के लिए अच्छी नौकरियां ढूढंने पर जोर दिया गया है और अगर शिक्षा की बात करें तो सर्वे में एक शिक्षित और शिक्षा के जरिए एक स्वस्थ कार्यबल के निर्माण पर जोर दिया गया है।
आर्थिक सर्वे की मानें तो इस साल यानि कि 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2018 तक हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार पौने सात फीसदी यानि कि 6.75 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है लेकिन उम्मीद भी जाहिर की गई है कि अगले वित्तीय वर्ष यानि 1 अप्रैल 2018 से लेकर 31 मार्च 2019 तक हमारा देश तरक्की के रास्ते पर खूब आगे बढ़ेगा और इसकी विकास दर 7 से साढ़े सात पर पहुंच सकता है। सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2019 में हमारे देश से होने वाले निर्यात में काफी बढो़तरी होगी जिससे कि देश की आर्थिक सेहत और भी मजबूत होगी।
सर्वे में खास तौर पर कहा गया है कि 1 जुलाई 2017 को शुरू किए गए वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी के लागू होने, संसद द्वारा पारित बैंकरप्सी कोड के जरिए आर्थिक दबाव झेल रही प्रमुख कंपनियों को मजबूत करने, लंबे वक्त से चली आ रही ट्विन बैलेंसशीट यानि उद्योगों और बैंकों की बैलेंशशीट का समाधान करने, सरकारी बैंकों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने, विदेशी निवेश को और अधिक उदार बनाने औऱ निर्यात को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में तेजी लाने से देश विकास के रास्ते पर सरपट दौड़ पड़ी है और इसलिए इस वित्तीय वर्ष में विकास दर 6.75 प्रतिशत दर्ज की जा सकती है। सर्वे के मुताबिक 2017-18 में खेती बाड़ी में 2.1 फीसदी का विकास, उद्योग धंधे में 4.4 फीसदी का विकास और सेवा क्षेत्र में 8.3 फीसदी विकास होने की उम्मीद है।
इकोनॉमिक सर्वे में विमुद्रीकरण यानि नोटबंदी के असर को लेकर भी बात की गई है। सर्वे में कहा गया है कि विमुद्रीकरण का असर 2017 के बीच के महीनों में काफी कम हुआ। यह इसलिए मुमकिन हो पाया क्योंकि इस दौरान कैश और जीडीपी अनुपात बेहतर स्थिति में आया। सर्वे के मुताबिक आने वाले वक्त में निर्यात अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने का काम कर सकता है। सर्वे में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था आईएमएफ की तरफ से 2018 में वैश्विक विकास की जो रफ्तार अनुमानित है, अगर वही रफ्तार रहती है, तो यह अर्थव्यवस्था की रफ्तार को आधी फीसदी बढ़ा सकता है। सर्वे में यह बात भी कही गई है कि निर्यात का प्रदर्शन और देश के जीवन स्तर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह भी कहा गया है कि कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट एवं बिजली जैसे आठ प्रमुख उद्योगों में 2017-18 के अप्रैल से नवंबर के दौरान 3.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत को विश्व में सबसे अच्छे तरीके से काम करने
वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जा सकता है क्योंकि पिछले तीन वर्षों के दौरान औसत विकास दर वैश्विक विकास दर की तुलना में लगभग 4 प्रतिशत अधिक है और उभरते बाजार एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लगभग 3 प्रतिशत अधिक है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में कहा गया है कि विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018 में भारत ने पहले की अपनी 130वीं रैकिंग के मुकाबले 30 स्थानों की ऊंची छलांग लगाई है। क्रेडिट रेटिंग कंपनी मूडीज ने भी भारत की रैकिंग को बीएए3 से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया है। यह सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता और बैंक के पूंजीकरण समेत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों से संभव हो पाया है।
जीएसटी में स्थायित्व लाना, ट्विन बैलेंसशीट को ठीक करना यानि उद्योंगों और बैंकों की आर्थिक सेहत और भी मजबूत करना और अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए पैदा हुए तमाम खतरों का सामाधान करना ये कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जिनका जिक्र आर्थिक सर्वे में किया गया है। ये आर्थिक सर्वेक्षण कई मायनों में खास है क्योंकि नोटबंदी के फैसले के 15 महीने और जीएसटी लागू होने के 7 महीने के बाद इसे पेश किया गया है।

